हिंदू धर्म में पूजा- पाठ करने से पहले शुभ मुहूर्त अवश्य देखा जाता है। माना जाता है कि शुभ समय में पूजा- पाठ करने से पूजा का कई गुना अधिक फल मिलता है। कल यानी 9 अगस्त को सावन मास की अमावस्या है। सावन अमावस्या को श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। सावन के महीने में पड़ने वाली इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन पितर संबंधित कार्य भी किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव के साथ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान की आराधना करने से आराधक के सभी दुख- दर्द दूर हो जाते हैं।
अमावस्या पूजा- विधि
अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। लेकिन वर्तमान समय में देश भर में फैली कोरोना महामारी की वजह से घर से बाहर जाने से बचें और घर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नानादि करने के बाद घर के मंदिर में देशी घी का दीपक जलाएं। भगवान की पूजा अर्चना करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें। इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। उन्हें तर्पण करना चाहिए, ऐसा करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन की अमावस्या के दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:21 ए एम से 05:04 am
अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:53 pm
विजय मुहूर्त- 02:40 पी एम से 03:33 pm
गोधूलि मुहूर्त- 06:53 पी एम से 07:17 pm
रवि पुष्य योग- 05:46 ए एम से 09:19 am
सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:46 ए एम से 09:19 am