Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के अलवर जिले में इस वक्त माहौल गरमाया हुआ है. एक तरफ़ पुलिस प्रशासन है तो दूसरी ओर सैकड़ों की तादाद में गांव के लोग और परिजन. वजह है एक मौत, और शव के लिए कई दिनों से चला आ रहा इंतजार. अब हालात ये हो गए हैं कि ग्रामीण और पीड़ित परिवार 'धरनास्थल' पर ही डट गए हैं और उन्होंने तब तक उठने से इनकार कर दिया है, जब तक कि उन्हें लापता व्यक्ति का शव नहीं मिल जाता.
क्या है ये पूरा मामला?
ये पूरा विवाद पिछले मंगलवार, 5 नवंबर को तब शुरू हुआ जब 24 वर्षीय सुनील पुत्र सुरेश सैनी अचानक लापता हो गया. सुनील सरूंड की पुलिया से नहर में गिर गया था, जिसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं चला. सूचना मिलते ही पुलिस और रेस्क्यू टीमें तुरंत हरकत में आईं और कई दिनों तक सुनील को नहर में तलाश किया गया, लेकिन निराशा हाथ लगी. जब तमाम कोशिशें बेकार हो गईं और सुनील का कोई सुराग नहीं मिला, तो परिजनों और गांव वालों ने 'शव मिलने तक धरना' देने का फैसला कर लिया.
प्रशासन की चुनौतियाँ और जनता का रोष
अब एक सप्ताह से भी ज़्यादा का समय बीत चुका है और प्रशासन के लिए ये चुनौती हर गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है. परिजनों का कहना है कि प्रशासन अपनी ओर से पूरी तरह से कोशिशें नहीं कर रहा है, वरना इतने दिनों में शव मिल जाना चाहिए था. नहर में गोताखोरों की टीम ने हर मुमकिन जगह पर तलाश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. यहां तक कि पानी की धार को धीमा करने के लिए पानी के बहाव को बंद भी किया गया, पर वो भी बेअसर साबित हुआ.
अब तक कई जनप्रतिनिधि भी धरना स्थल पर पहुँचकर परिजनों को समझाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन लोग अपनी मांग पर अडिग हैं. उनका कहना है कि अगर वे धरने से उठ गए तो शायद प्रशासन फिर सुनील को ढूंढने की इतनी परवाह न करे. उनकी एक ही मांग है: सुनील का शव मिलना चाहिए, तभी वे अपनी जगह से हटेंगे.
भावनाओं का ज्वार और न्याय की मांग
इस दुखद घटना ने न केवल सुनील के परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि पूरे गांव में गुस्सा और निराशा का माहौल है. लोगों का यही मानना है कि किसी तरह सुनील का शव मिल जाए, ताकि उसका विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जा सके और परिवार को थोड़ी शांति मिल सके. अब ये देखना बाकी है कि प्रशासन इस मामले से कैसे निपटता है और कब तक यह अनिश्चितकालीन धरना खत्म होता है.
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