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Up Kiran, Digital Desk: ऑपरेशन सिन्दूर की अभूतपूर्व सफलता के बाद भारतीय सेना अपनी ताकत और बढ़ा रही है। अब वह अपने बेड़े में स्वदेशी ड्रोन की संख्या को बढ़ा रही है। इसके लिए उसने भारतीय कंपनियों को 5,000 करोड़ रुपये का आर्डर दिया है, जिनमें सरकारी और निजी दोनों ही शामिल हैं।

कठोर परीक्षण के बाद दिया गया आर्डर

यह ड्रोन दुश्मन के स्पूफिंग और जैमिंग जैसे खतरे से निपटने में सक्षम होंगे। सेना ने इन ड्रोनों का आर्डर देने से पहले ऑपरेशन सिन्दूर जैसी परिस्थितियों में परीक्षण किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन ड्रोनों का चयन किया गया है, उनमें शॉर्ट रेंज कमिकेज ड्रोन से लेकर लॉन्ग रेंज ड्रोन तक शामिल हैं। इनमें कुछ ड्रोन सटीक म्युनिशन वाले भी हैं, जो लंबी दूरी पर हमला करने में सक्षम होंगे। पहले ऐसे ड्रोन होते थे जो मिशन के बाद नष्ट हो जाते थे, जबकि अब ऐसे ड्रोन हैं जो टारगेट को पहचानकर उसे नष्ट कर सकते हैं और फिर सुरक्षित वापस लौट सकते हैं।

आपात शक्तियों का उपयोग किया गया

तीसरी श्रेणी के ड्रोन वे हैं, जो जासूसी के लिए प्रयोग किए जाते हैं। सेना ने इन ड्रोनों की टेस्टिंग में यह भी सुनिश्चित किया कि कोई चाइनीज़ पार्ट का उपयोग नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करते हुए सेना ने इन ड्रोनों की खरीदारी की है, और इन शक्तियों की मंजूरी ऑपरेशन सिन्दूर के बाद दी गई थी।

मुख्य उद्देश्य: दुश्मन के ड्रोन का पता लगाना

सेना के अनुसार, इन ड्रोनों को खरीदने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे स्पूफिंग और जैमिंग जैसे कठिन परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक कार्य कर सकें। ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान सेना को ऐसे ड्रोन से संबंधित मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद इन ड्रोनों की जांच की गई कि इनमें चाइनीज़ पार्ट्स का प्रयोग तो नहीं हुआ है।

वॉरफेयर एरिया में परीक्षण

ड्रोनों की पहचान के लिए एक विशेष वॉरफेयर परीक्षण क्षेत्र तैयार किया गया था, जिसमें इन ड्रोनों को ऑपरेशन सिन्दूर जैसी जटिल जैमिंग परिस्थितियों से गुजरने के लिए परीक्षण किया गया। इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया गया कि ये ड्रोन ऊंची जगहों पर भी बेहतर परिणाम दे सकें।

इन कंपनियों को मिले आर्डर

वॉरफेयर एरिया में म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और लोइटरिंग म्यूनिशन्स के लिए 500 करोड़ रुपये का अनुबंध प्राप्त किया। यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

निजी क्षेत्र की कंपनियों में, न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज और एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड ने संयुक्त रूप से सर्विलांस और कामिकाज स्ट्राइक ड्रोन के लिए करीब 725 करोड़ रुपये का कांट्रैक्ट प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त, आइडियाफोर्ज और जेएसडब्ल्यू ने भी विभिन्न यूएवी के लिए ठेका हासिल किया। इनमें आइडियाफोर्ज ने सर्विलांस ड्रोन में सफलता पाई, जबकि जेएसडब्ल्यू ने वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग ड्रोन के क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की।