ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है मकर और कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि देव (Shani Dev) हैं। मौजूदा समय में शनिदेव अपनी राशि में कुंभ में गोचर कर रहे हैं। कहते हैं शनि जिस राशि में विराजमान होते हैं उस राशि के लिए ये समय काफी कष्टकारी हो जाता है। शनि के किसी भी राशि में गोचर करने पर उस राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती शुरू हो जाती है। बता दें कि शनि कुंभ राशि में साल 2025 के 29 मार्च तक विराजमान रहेंगे। ऐसे में तब तक का समय कुंभ राशि के जातकों के लिए बेहद कष्टदायी रहने वाला है।
जनवरी 2022 में हुई साढ़ेसाती की शुरुआत
इसी साल यानी 2022 में ही 24 जनवरी से कुंभ राशि पर शनि (Shani Dev) की साढ़े साती शुरू हो गई थी और 29 अप्रैल 2022 को शनि के राशि बदलते ही कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण आरंभ हो गया था। मालूम हो कि शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते हैं और दूसरा चरण सबसे अधिक कष्टदायी होता है। कहते हैं कि जब साढ़े साती का दूसरा चरण अपने चरम पर होता है तो जातक को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस चरण में इंसान को चारों तरफ से परेशानियां घिर जाता है और कहीं से कोई सहयोग नहीं मिलता।
इस स्थिति में होता है लाभाकारी
ज्योतिषी कहते हैं कि अगर किसी जातक की कुंडली में शनि (Shani Dev) के मजबूत स्थिति में है तो ये समय उसके लिए विशेष फलदायी साबित हो सकता है। उनका कहना है कि जरूरी नहीं होता कि शनि की दशा का प्रभाव व्यक्ति पर नकारात्मक ही पड़े। इसे शुभ प्रभाव भी पड़ते हैं।
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