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ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह (Shani Dev) को एक क्रूर ग्रह माना गया है। शनि देव का स्वभाव सत्य का पालन करने वाला है। ऐसे में वे जहां कहीं भी गलत होता देखते हैं तो उसेक गंभीर परिणाम देते हैं क्योंकि शनि कर्मफलदाता भी हैं। शनि भगवान को दंडाधिकारी या कलियुग का न्यायाधीश भी कहा जाता है।

शनि की साढ़े साती, ढैय्या

ज्योतिषशास्त्र में शनि की साढ़े साती और ढैय्या को शुभ फल देने वाला नहीं माना जाता है। लोगों का मानना है कि शनि देव इन अवस्था में बुरे फल प्रदान करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, कई बार शनि शुभ फल भी प्रदान करते हैं। (Shani Dev)

मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं

ज्योतिषी बताते हैं कि मकर राशि और कुंभ राशि के स्वामी शनि देव हैं। मौजूदा समय में शनि देव (Shani Dev) मकर राशि में विराजमान हैं यानि वे अपनी ही राशि में शनि विराजमान हैं लेकिन शनि वक्री हैं। माना जाता है कि शनिदेव जब वक्री चाल चल रहे होते हैं तो पूरी तरह से शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं इसलिए इस राशि के लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। इसके साथ ही शनि कुंभ राशि के भी स्वामी है। मकर के बाद वे कुंभ राशि में गोचर करेंगे।

इन दो राशि वालों को नहीं करते हैं परेशान

शनिदेव (Shani Dev)  धनु राशि और मीन राशि वालों को परेशान नहीं करते हैं। इस राशि के लोग अगर नियमों का पालन करते हैं और दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं तो शनि इन्हे मान सम्मान और धन भी प्रदान करते हैं।

तुला राशि है शनि की सबसे प्रिय राशि

शनिदेव (Shani Dev)  की सबसे प्रिय राशि तुला है। ज्योतिषी बताते हैं कि इस राशि वालों को शनि दुख और कष्ट प्रदान नहीं करते हैं। तुला राशि के जातक अगर दूसरों का भला करते हैं तो शनिदेव उनकी उन्नति में सहायक बनते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं।

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