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सनातन धर्म में सरल भाषा में भगवान भोलेनाथ की प्रार्थना करने के लिए शिव चालीसा का पाठ किया जाता है। इसे चालीसा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसमें चालीस पंक्तियां हैं। सबसे लोकप्रिय मानी जाने वाली शिव चालीसा का पाठ करके भक्त आसानी से देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न कर लेते हैं। शिव चालीसा का पाठ करके शंकर भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव जी भी प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी कर लेते हैं।

भय दूर करती है शिव चालीसा

शिव चालीसा का पाठ करने से मनुष्य को भय से छुटकारा मिलता है। इसके लिए जय गणेश गिरीजा सुवन’ मंगल मूल सुजान, कहते अयोध्या दास तुम’ देउ अभय वरदान वाली लाइन पढ़ें। इस पंक्ति को शाम के समय नहीं बल्कि सुबह के समय पढ़ना चाहिए। इसे पक्ति को 40 दिन तक लगातार पढ़ें। लाभ मिलने लगेगा।

दूर होंगे दुख और परेशनी

अगर आप अपने जीवन में बहुत ज्यादा परेशान और दुखी हैं तो निराश न हों। शिव चलीसा की इस एक पंक्ति का जाप करें, देवन जबहिं जाय पुकारा’ तबहिं दुख प्रभु आप निवारा। इस पंक्ति को रोजाना रात में 11 बार पढ़ें और काम पूरा होने के बाद गरीबों के बीच मिठाई अवश्य बांटे।

अभीष्ट कार्य पूरा करने के लिए ये लाइन पढ़ें

अगर आप किसी इच्छित कार्य को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं तो शिव चालीसा की ये लाइन पढ़ें ‘पूजन रामचंद्र जब कीन्हा’ जीत के लंक विभीषण दीन्हा।’ इस पंक्ति को सायंकाल में 27 दिन तक लगातार पढ़े। रोजाना 13 बार पढ़ने से जल्द ही इसका परिणाम मिलने लगेगा।

शिव चालीसा पढ़ने के हैं खास नियम

प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान कर के साफ कपड़े पहनें और फिर शिव चालीसा का पथ करने के लिए पवित्र मन से ईश्वर का ध्यान करें। चालीसा पढ़ने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में एक सफेद आसन पर उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर के बैठे। अब ईश्वर की प्रतिमा के सामने गाय के घी का दीप जलाएं और 11 बार पाठ करें। शिव चालीसा का पाठ करते समय शिवलिंग पर जल का पात्र रखे और प्रसाद के लिए मिश्री का भोग लगाएं। पूजा में चावल, कलावा, सफेद चंदन, धूप-दीप, पीले फूलों की माला और सफेद आक के 11 फूल भी रखें। इसके साथ ही एक बेलपत्र भी उल्टा करके शिवलिंग पर अर्पित करें। चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले लोटे में जल भी रखें।

ध्यान रखें एक दिन में दो से तीन बार पाठ करें और लगातार 40 दिन करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्त की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। पाठ हमेशा तेज आवाज में पढ़े ताकि अन्य भक्तों को भी सुनाई दे, इससे लाभ होगा। पाठ करने पश्चात लोटे के जल को घर में चारों तरफ छिड़क दें और प्रसाद बच्चों में बाटें।

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