आज हम चर्चा करेंगे एक ऐसे मंदिर कीजहाँ आज भी आज भी भगवान राम महादेव की पूजा करते हैं जी हां आश्चर्य हो रहा होगा आपको लेकिन यह सच्च है बतादें की इटावा जनपद के जसवंत नगर कस्बा में एक ऐसा मंदिर स्थापित है. इस मंदिर का नाम जसवंतनगर में ही नहीं आसपास के कई क्षेत्रों में प्रसिद्ध है. जहां भगवान राम महादेव की पूजा अर्चना करने पहुंचे थे। (Shocking mystery)
करीबन 300 वर्ष पुराना है यह मंदिर
उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के जसवंतनगर कस्बा में एक ऐसा मंदिर स्थापित है। जहां भगवान राम महादेव की पूजा अर्चना करने पहुंचे थे. इस मंदिर का नाम जसवंतनगर में ही नहीं आसपास के कई क्षेत्रों में प्रसिद्ध है इस मंदिर को लोग रामेश्वरम मंदिर के नाम से जानते हैं। क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना यह है कि यह मंदिर करीबन 300 वर्ष पुराना है और सबसे पुरानी ऐतिहासिक इटावा जनपद ही नहीं बल्कि इस पूरे प्रदेश में अपनी ख्याति बिखेरने वाली मैदानी रामलीला की भी शुरुआत इसी मंदिर से हुई थी। (Shocking mystery)
पूजा अर्चना करते हैं इसलिए इस मंदिर का नाम…
1855 में जसवंत नगर की रामलीला की शुरुआत हुई और भगवान राम अपने लीला दिखाने से पहले भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह पूरे भगवान राम के रूप को धारण कर भगवान भोलेनाथ के मंदिर में पहुंचते हैं और वहां पूजा अर्चना करते हैं इसलिए इस मंदिर का नाम उसी समय से रामेश्वरम पड़ गया। इस मंदिर की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि यहां जो भी सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ से मांगता है वह उनकी हर मनोकामना को पूरी करते हैं। (Shocking mystery)
सावन में हजारों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
यहां की प्रसिद्ध मैदान की रामलीला का भी एक बड़ा इतिहास है सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और माथा टेक कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नाग पंचमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया और नाग पंचमी का पर्व मनाया। (Shocking mystery)
विश्वविख्यात है जसवंत नगर की रामलीला
रामलीला रोड के अंत में पूर्व दिशा में जो प्राचीन मंदिर है वह ‘ रामेश्वरम शिवालय’ है, उसकी महिमा और महत्व अधिक इसलिए है, क्योंकि 167 वर्षों से हर वर्ष भगवान राम यहां एक दिन स्वयं शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने और माथा टेकने आते है.।रामलीला की शुरुवात इसी शिवलिंग की पूजा अर्चना के बाद ही प्रारंभ होती है। जसवंत नगर की रामलीला विश्वविख्यात है। (Shocking mystery)
लक्ष्मण, सीता, हनुमान संग मंदिर पहुंचते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम
इस राम लीला में झांकी स्वरूप में मर्यादा पुरुषोत्तम राम खुद अकेले नहीं आते, साथ में लक्ष्मण, सीता, हनुमान और पूरी वानर सेना भी उनके साथ होती है। नगर के प्राचीनतम शिवालयों में शुमार ‘ रामेश्वरम-शिवालय’ की स्थापना 450से 500 वर्ष पूर्व की गई थी। नगर के तत्कालीन सेठ रामेश्वर शिवहरे ने उन्हें भगवान भोलेनाथ के सोते में स्वप्न आने पर करवाई थी। तत्कालीन किले नुमा स्थापत्य कला के बने इस मंदिर के निर्माण में मात्र 51 रुपए खर्च तब आया था। मंदिर निर्माण करने वाले सेठ की नौमी पीढ़ी आज भी मंदिर की देखभाल में जुटी है. इस परिवार में आज भी बच्चों के नाम भगवान शिव के पर्यायवाची नामों पर ही रखने की परंपरा है। (Shocking mystery)
नाग-नागिन का जोड़ा मंदिर के आसपास करता है वास
इस परिवार की विदुषी तथा शिवभक्त महिला इंदिरा गुप्ता इसकी देखरेख में रहती हैं। वह बताती हैं कि मंदिर से उनके परिवार ने कालांतर में 16 बीघा जमीन भी लगाई थी। एक तालाब भी मंदिर से लगा था, जिसमे स्नान करने तथा शिवालय में पूजा करने यहां के राजा-रानी रोज आते थे. वह बताती हैं कि मंदिर की रक्षा में अदृश्य नाग-नागिन का जोड़ा यहां मंदिर के आसपास वास करता है। (Shocking mystery)
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