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Up Kiran, Digital Desk:  दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा में घुले जहर और हर साल की तरह बेकाबू हुए पराली के धुएं पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है. बुधवार को सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को जमकर फटकार लगाई और उनसे पराली जलाने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने साफ कहा कि इस गंभीर मुद्दे को हर साल की खानापूर्ति नहीं बनाया जा सकता और अब ठोस कार्रवाई दिखनी चाहिए.

यह सुनवाई तब हुई जब दिल्ली में हवा की गुणवत्ता (AQI) "गंभीर" श्रेणी में बनी हुई है और दिवाली के बाद पटाखों के धुएं और पराali के जहर ने मिलकर शहर को एक 'गैस चैंबर' में तब्दील कर दिया है. दिल्ली के कई इलाकों में AQI 450 के भी पार चला गया है, जो 'खतरनाक' माना जाता है.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों से कहा, बताइए कि आपने पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं. कोर्ट ने दोनों राज्यों को 17 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि दिल्ली में लगे कई एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन ही ठीक से काम नहीं कर रहे या उनसे मिल रहे आंकड़ों में हेरफेर की जा रही है. कोर्ट के सहयोगी (Amicus Curiae) ने आरोप लगाया कि एयर क्वालिटी के झूठे आंकड़े फैलाए जा रहे हैं, जिस पर कोर्ट ने गंभीरता दिखाई और कहा कि वह इस मामले की भी जांच करेगा.

एक वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि 'ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान' (GRAP) का तीसरा चरण लागू होने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट परिसर के ठीक बाहर निर्माण कार्य चल रहा है, जिस पर चीफ जस्टिस ने तुरंत कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

दिवाली के बाद बदतर हुए हालात

दिवाली पर पटाखे जलाने पर लगी पाबंदियों के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में जमकर आतिशबाजी हुई. इसके धुएं में जब पंजाब और हरियाणा से आया पराली का धुआं मिला, तो हालात बेकाबू हो गए. हवा इतनी जहरीली हो गई है कि डॉक्टरों ने लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी है.

पिछले हफ्ते भी कोर्ट ने संबंधित विभागों को फटकार लगाते हुए कहा था कि वे प्रदूषण के 'गंभीर' स्तर पर पहुंचने का इंतजार न करें, बल्कि पहले से ही जरूरी कदम उठाएं. अब इस मामले पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी, जिसमें कोर्ट दोनों राज्यों के जवाबों की समीक्षा करेगा.