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सोम प्रदोष व्रत 28 अगस्त को। प्रदोषव्रत सोमवार के दिन आए तो और भी खास है। क्योंकि सोमवार को भगवान शिव का प्रिय दिन कहा जाता है। यह दिन शिव पूजा के लिए बहुत ही उत्तम दिन कहा जाता है। खासकर अभी श्रावण का महीना है. श्रावण मास का अर्थ है भगवान शिव की पूजा को समर्पित महीना, इस महीने में सोम प्रदोष व्रत पड़ता है इसलिए यह दिन और भी खास है।

सोम प्रदोष व्रत 2023
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 28 अगस्त को शाम 06:22 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 28 अगस्त को दोपहर 02:47 बजे
पूजा का समय: 28 अगस्त को शाम 06:45 बजे से 08:59 बजे तक

सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष पर व्रत रखा जाता है और प्रदोष व्रत रखा जायेगा। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करना बहुत शुभ होता है। इस दिन प्रदोष व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होंगी। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो प्रदोष व्रत करने से मानसिक तनाव और अवसाद कम होता है। इस प्रकार के व्रत को करने से नकारात्मक सोच नहीं आती है क्योंकि हमारा मन केवल भगवान पर केंद्रित होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है और अवसाद से राहत देता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार सोम प्रदोष व्रत करने से ये महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं:
* सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
* ऐसा माना जाता है कि यदि जीवन में कोई भी समस्या हो तो शिव-पार्वती की कृपा से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
* आर्थिक समस्या की शिकायत होगी
* अगर स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो प्रदोष व्रत करने से रोग कम हो जाएगा।
* घर में सुख-शांति बढ़ेगी।
* अविवाहित लड़के-लड़कियां विवाह योग पाने के लिए यह व्रत करते हैं।

प्रदोष व्रत के पूजा नियम क्या हैं?
सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में कोई कमी नहीं रहती।
* इस दिन पूजा के दौरान गुलाबी रंग पहनना अच्छा होता है।
*शिवलिंग पर चांदी या तांबे के बर्तन से शुद्ध शहद चढ़ाएं
* फिर जलाभिषेक करें।

इन मंत्रों का जाप करें:
महामृत्युंजय
मंत्र ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्| उर्वारुकम्व बंधन मृत्योर्-मुक्षीय मामृतात्||

शिव गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्

शिव ध्यान मंत्र
कर्चरणकृतं वा कायजं कर्मजं वा श्रवणनंजं वा मनसं वा पारधाम विहितं विहितम् वा सर्वे मेतत् क्षमासव जय जय करुणाभे श्री महादेव शंभो

 

सोमव्रत करने से ये समस्याएं दूर हो जाएंगी

यदि सप्तम भाव में राहु, मंगल, शनि केतु जैसे अशुभ ग्रहों के कारण दांपत्य जीवन में शांति नहीं है तो इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन अच्छा रहेगा।

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