हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का खासा महत्व है। सोमवती अमावस्या के दिन व्रत, पूजन और पितरों को जल अर्पण करने की परंपरा है। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव व माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करने से पति की आयु बढ़ती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत से दांपत्य जीवन में स्नेह और सद्भाव हमेशा बना रहता है। वहीं संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि व्रत कथा सुनने से असीम पुण्य प्राप्त होता है और मन वांछित फल मिलता है।
साल 2022 की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को थी जबकि दूसरी सोमवती अमावस्या 30 मई को पड़ रही है।
पौराणिक कथा है कि एक गरीब ब्राह्मण था जिसकी कन्या बहुत ही सुशील और गुणवान थी। लेकिन धन न होने की वजह से उसका विवाह नहीं हो रहा था। तब गरीब ब्राह्मण ने एक साधू से इसका उपाय पूछा तो साधू ने कहा कि पास के एक गांव में सोना नाम की एक धोबिन अपने बेटे व बहु के साथ रहती है। वह बहुत ही आचार-विचार, संस्कार संपन्न तथा पति परायण महिला है।
अगर आपकी पुत्री जाकर उसकी सेवा करे और धोबिन अपने मांग का सिंदूर कन्या के मांग में लगा दे तो इसका वैधव्य योग मिट सकता है। साधू की बात मानकर ब्राह्मण कन्या रोज धोबिन के घर जाकर उसका सारा काम करती और वापस चली आती। इसको लेकर धोबिन सोचने लगी कि यह काम कौन कर जाता है। इसका पता लगाने के लिए धोबिन इस पर नजर रखने लगी। एक दिन कन्या धोबिन के घर का सारा कम करके वापस आ रही थी तो धोबिन ने कन्या को देख लिया।
सोना धोबिन कन्या के पैरों पर गिर पड़ी और पूछने लगी कि आप कौन हैं और इस तरह से छिपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं, तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी। वह तैयार हो गई लेकिन जैसे ही सोना धोबिन ने अपनी मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, सोना धोबिन का पति गुजर गया। इस बात से क्षुब्ध सोना धोबिन ने निरजल ही पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा की। उसके बाद ही जल ग्रहण किया। सोना धोबिन के ऐसा करते ही उसके पति को जीवन दान मिल गया और वह पुनः जीवित हो उठा।