मुंगेर। आज के समय में जहां वृद्ध माता-पिता की सेवा करना बेटा और बहू के लिए बोझ लगता हैं जिससे वृद्धा आश्रम कल्चर बढ़ता जा रहा है तो वहीं बिहार का एक पुत्र और पुत्र वधु श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं। ये दोनों पति-पत्नी सावन मेला में माता-पिता को कावड़ में बैठा कर बाबाधाम की यात्रा की यात्रा पर निकले हैं। बिहार के जहानाबाद जिले के रहने वाले चंदन कुमार और उनकी पत्नी रानी देवी अपने माता-पिता को देवघर यानी कि बैजनाथ धाम ले जाने के लिए श्रवण कुमार बन गए। ये लोग सुल्तानगंज से गंगा जल भरकर दोनों देवघर के लिए प्रस्थान किये है।
चंदन कुमार ने बताया कि हम अपने घर में हर महीने सत्यनारायण व्रत की कथा सुनते हैं। उसी के दौरान दिन मन में इच्छा जाहिर हुई माता जी और पिताजी को बाबाधाम की पैदल तीर्थ कराया जाये लेकिन माता और पिताजी वृद्ध हैं। ऐसे में उनके लिए 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा पैदल तय करना संभव नहीं था। चंदन ने बताया कि जब उन्होंने ये बात अपनी पत्नी को बताई तो उसने मेरा साथ दिया और हिम्मत बधाई। इसके बाद हम दोनों ने ये कार्य करने की ठान ली और को लेकर माता-पिता को लेकर कावड़ यात्रा पर निकल पड़े।
चंदन ने बताया कि इसके बाद मैंने एक मजबूत कांवड़नुमा बहंगी बनवाई और रविवार को सुल्तानगंज से गंगा जल भरकर उस बहंगी में आगे पिताजी और पीछे माताजी को बिठाकर यात्रा पर निकल पड़े। बहंगी के अगले हिस्से को चन्दन ने अपने कंधे पर उठाया है तो उनकी पत्नी रानी देवी पीछे से बहंगी को उठाये हुए हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा लंबी है, समय लगेगा लेकिन हम इस यात्रा को जरूर सफल बनाएंगे। चंदन की पत्नी रानी ने बताया कि पति के मन की इच्छा को जाने के बाद मेरा भी मन हुआ उनका साथ देने का। रानी ने कहा कि हम लोग खुश हैं कि अपने सास-ससुर को बाबाधाम की यात्रा कराने निकले हैं। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।
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