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Up Kiran Digital Desk: कर्नाटक बोर्ड 10वीं का रिजल्ट हाल ही में घोषित किया गया। इस बीच कर्नाटक के बागलकोट जिले से एक अनूठा उदाहरण सामने आया है, जो न सिर्फ अभिभावकों की सोच बदल सकता है, बल्कि असफलता का सामना कर रहे छात्रों को भी नई दिशा दे सकता है। परीक्षा में कम अंक आने पर विद्यार्थी को परिवार, रिश्तेदारों, समाज और स्कूल के लोगों से ताने सुनने पड़ते हैं। जिसके कारण अक्सर देखा जाता है कि छात्र अक्सर निराश होकर डिप्रेशन में चले जाते हैं।
समाज में ऐसा माहौल बना दिया गया है कि 10वीं या 12वीं के नतीजे किसी के भविष्य की नींव तय कर सकते हैं, जो सही भी हो सकता है और गलत भी। इस स्थिति में अभिभावकों को यह समझना चाहिए कि वे कम अंक लाने वाले या फेल होने वाले बच्चों के साथ सामान्य व्यवहार करें और उन पर दबाव न डालें। कर्नाटक से एक ऐसा ही सराहनीय मामला सामने आया है, जिससे देश भर के परिवारों को सबक लेना चाहिए।
हाल ही में घोषित कर्नाटक बोर्ड कक्षा 10वीं के परिणामों (कर्नाटक बोर्ड परीक्षा 2025) में बागलकोट के बसवेश्वर इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र अभिषेक चोलाचागुड्डा ने 600 में से केवल 200 अंक हासिल किए। 10वीं की बोर्ड परीक्षा में असफल होने के बाद उनके दोस्तों और कॉलेज के छात्रों ने उनका खूब मजाक उड़ाया था। मगर भले ही लड़का असफल हो गया, उसके माता-पिता उसके साथ खड़े रहे। ऐसे नतीजों के बाद अक्सर बच्चों पर चिल्लाया जाता है, मगर अभिषेक के माता-पिता ने एक अलग रास्ता चुना। उन्होंने अपने बेटे का मनोबल बढ़ाने के लिए केक काटा और परिवार ने मिलकर जश्न मनाया तथा उसका उत्साहवर्धन किया।
अभिषेक के पिता के अनुसार, आप परीक्षा में असफल हो सकते हैं, मगर जीवन में नहीं। ये अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत है। इस सकारात्मक दृष्टिकोण का अभिषेक पर गहरा असर पड़ा।
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