World Radio Day पर विशेष: कहीं ऐसा न हो रेडियो की आवाज गुम हो जाए, आइए एक बार फिर बने इसके हमसफर

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शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

आज वर्ल्ड रेडियो डे (World Radio Day) की चर्चा करने जा रहे हैं वह आप लोगों के बचपन में जरूर करीब रहा होगा, हालांकि अभी भी देश में लाखों-करोड़ों लोग ऐसे हैं जो अपने पुराने संचार माध्यम को हमसफर बनाए हुए हैं। आज चाहे कितना भी इंटरनेट और गूगल का जमाना हो लेकिन उस हमसफर की बात ही कुछ और हुआ करती थी। यह रेडियो आकाशवाणी है, सुनकर कुछ याद आ गया होगा, अगर नहीं आया चलिए हम बताते हैं ।

World Radio Day World Radio Day - special 1

हम बात करने जा रहे हैं ‘रेडियो’ की। आज विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day) है । रेडियो ने वक्त को नहीं दौर को जीया है। उस लोग इसके दीवाने थे, रास्तों में रेडियो को गले में या हाथों में लटकाते हुए मिल जाते थे । आजादी के बाद जब देश में नया-नया रेडियो आया था तो इसे सुनने के लिए लोग जमा हो जाते थे । यही नहीं शादियों में भी दहेज के रूप में रेडियो दिया जाता ।

देशवासियों का रेडियो सुनना एक क्रेज हुआ करता था

देशवासियों का रेडियो सुनना एक क्रेज हुआ करता था । क्रिकेट कमेंट्री सुनने के लिए लोग रेडियो को लेकर घरों से ऑफिस या दुकानों पर निकलते थे । देश और दुनिया भर में रेडियो को लेकर बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं । हम सभी ने मीडिया के तौर पर सबसे पहले रेडियो को ही सुना है। रेडियो तब आया था, जब जनसंचार का कोई और जरिया नहीं था । आज भी बहुत से लोगों को रेडियो का पुराना प्रोग्राम ‘बिनाका’ गीतमाला याद है । (World Radio Day)

रेडियो के पहले मशहूर एनाउंसर अमीन सयानी की आवाज और अंदाज हम अब भी पहचान सकते हैं । इसके अलावा सीलोन, विविध भारती आदि रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को सुनकर पूरा देश झूमता था । बता दें कि इस वर्ष वर्ल्ड रेडियो डे को तीन थीम्स या विषय वस्तुओं में बांटा गया है, ये हैं ‘विकास, नवाचार और संपर्क या जुड़ाव’। (World Radio Day)

आज World Radio Day की दसवीं सालगिरह पर जानें इसका इतिहास

इस साल का वर्ल्ड रेडियो दिवस इसलिए भी खास है क्योंकि यह विश्व रेडियो दिवस की दसवीं सालगिरह है । यह बात नई पीढ़ी को हैरान करने वाली लग सकती है टेलीविजन के व्यापक होने के बाद भी रेडियो को आज भी उपयोगी माना जाता है। अब आपको बताते हैं विश्व में रेडियो का इतिहास। (World Radio Day)

24 दिसम्बर 1906 की शाम थी जब कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने अपना वॉयलिन बजाया, जिसके बाद अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, यह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी। (World Radio Day)

उसके बाद 20 अक्टूबर, 2010 को स्पेनिश रेडियो अकादमी के अनुरोध पर स्पेन ने संयुक्त राष्ट्र में रेडियो को समर्पित विश्व दिवस मनाने के लिए सदस्य देशों का ध्यानाकर्षण किया। जिसे स्वीकार कर संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन युनेस्को ने पेरिस में आयोजित 36वीं आमसभा में 3 नवंबर, 2011 को घोषित किया कि प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाएगा। (World Radio Day)

तभी से यह विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है ।‌ यहां हम आपको बता दें कि अभी भी इसकी पहुंच हर उम्र में है, ऐसे में इसकी लोकप्रियता भी सबसे ज्यादा है। यह सूचना का सबसे शक्तिशाली और विश्वसनीय माध्यम है। साथ ही साथ रेडियो सूचना का सदियों से पुराना माध्यम बना हुआ है। इसका इस्तेमाल संसार की दुनिया में अब भी खूब होता है। (World Radio Day)

भारत में रेडियो के सफर की कुछ इस तरह हुई थी शुरुआत (World Radio Day)

बता दें कि निजी ट्रांसमीटरों द्वारा 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने प्रसारण आरंभ किया गया, पर उसने तीन वर्ष में ही दम तोड़ दिया। 1927 में स्थापित रेडियो क्लब बॉम्बे भी 1930 में आखिरी सांस ले कर मौन हो गया। 1936 में ‘इंपीरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई जो आजादी के बाद ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के नाम से विख्यात हुआ । भारत की आजादी की लड़ाई में भी रेडियो एक अहम हिस्सा रहा है।(World Radio Day)

1957 को ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर ‘आकाशवाणी’ कर दिया। रेडियो एक जमाने में तेज संचार यानि सूचना के आदान प्रदान का प्रमुख साधन बन गया था । पहले टेलीग्राफ के जरिए ही सूचनाओं का आदान प्रदान के लिए एक प्रमुख जरिया था, यहां तक कि दूर दूर देशों में खबरों को पहुंचाने का काम तार द्वारा ही किया जाता था । लेकिन रेडियो ने संचार क्रांति ला दी।(World Radio Day)

रेडियो के जरिए ऐसी जगहों पर ही सूचनाएं और खबरें पहुंच सकती हैं जहां सोचा भी नहीं जा सकता था। आकाशवाणी 27 भाषाओं में शैक्षिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक, खेलकूद, युवा, बाल एवं महिला तथा कृषि एवं पर्यावरण संबंधी प्रस्तुतियों से संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में पिरोने की बड़ी भूमिका रही। 2 अक्टूबर, 1957 को स्थापित ‘विविध भारती’ ने 1967 से व्यावसायिक रेडियो प्रसारण शुरू कर नए युग में प्रवेश किया। आजादी के समय भारत में 6 रेडियो स्टेशन थे। आज भारत में 250 से अधिक रेडियो स्टेशन 99 प्रतिशत आबादी से आत्मीय रिश्ता जोड़े हुए हैं। (World Radio Day)

रेडियो की मध्यम पड़ती आवाज को पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ से दी गति

पिछले कुछ वर्षों से रेडियो की मध्यम पड़ती आवाज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गति प्रदान की । पीएम मोदी रेडियो की ताकत को समझाते हुए हर महीने के अंत में रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करते हैं और जनता से जुड़ने की कोशिश करते हैं । आज विश्व रेडियो दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘विश्व रेडियो दिवस की शुभकामनाएं’ सभी रेडियो श्रोताओं को शुभकामनाएं, जो रेडियो को नए कंटेंट और म्यूजिक से गुलजार रखते हैं। (World Radio Day)

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक शानदार माध्यम है, जो सामाजिक जुड़ाव को गहरा करता है । मैं व्यक्तिगत रूप से रेडियो का सकारात्मक प्रभाव का अनुभव करता हूं। आज भी गांव देहात में रेडियो सूचना का सबसे बड़ा स्रोत है। सही मायने में जिसने रेडियो नहीं सुना उसने कुछ नहीं सुना। भले ही आज टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट सूचना और मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय माध्यम है लेकिन अभी भी वह रेडियो की जगह नहीं ले पाए है। (World Radio Day)

यह भी सच है कि मोबाइल फोन के आने से रेडियो को नया जीवन जरूर मिल गया है। रेडियो में अलग-अलग तरह की तकनीक भी आने लगी है जिसकी वजह से श्रोताओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। (World Radio Day)

 

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