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भाजपा हाईकमान राजस्थान विधानसभा इलेक्शन में गुजरात व मध्यप्रदेश की तरह एक्सपेरिमेंट करना चाहता है। हाईकमान की मंशा बड़े स्तर पर भाजपा विधायकों के टिकट काटने और सांसदों को टिकट देने की है, मगर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे इसके लिए राजी नहीं हैं। चर्चा है कि वसुंधरा राजे के बगावती तेवरों के चलते भाजपा आलाकमान बैकफुट पर आ गया है।

यही कारण है कि प्रत्याशियों की लिस्ट फाइनल नहीं हो पा रही है। शनिवार को दिल्ली में वसुंधरा राजे, प्रह्लाद जोशी और जेपी नड्डा के मध्य टिकट को लेकर मीटिंग हुई, मगर फाइनल सूची पर मुहर नहीं लग पाई। वसुंधरा राजे के बगावती तेवरों के चलते पार्टी हाई कमान गुजरात और एमपी वाले एक्सपेरिमेंट से फिलहाल झिझक रहा है।

चर्चा है कि वसुंधरा राजे के तेवरों को देखते हुए भाजपा बैकफुट पर आ गई। पीएम मोदी ने जयपुर में हुई जनसभा में वसुंधरा राजे का नाम नहीं लिया था। चर्चा ये भी है कि भाजपा आलाकमान उन्हें पसंद नहीं कर रहा है। मगर बड़ा प्रश्न ये है कि पसंद नापसंद के जरिए मोदी हिमाचल और कर्नाटक की तरह राजस्थान की नैय्या लगवा दें। क्योंकि एक सर्वे में कांग्रेस ने दो महीने के अंदर शानदार वापसी की है।

आपको ये भी बता दें कि भाजपा ने गुजरात में नो रिपीट के फॉर्मूले से बंपर जीत हासिल की थी, जबकि पड़ोसी राज्य में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर समेत कई सांसदों को विधानसभा इलेक्शन का टिकट थमा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा यही एक्सपेरिमेंट राजस्थान में करना चाहती है, मगर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जिद पर अड़ी हुई हैं। यही वजह है कि भाजपा को राजस्थान में कैंडिडेट फाइनल करने के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है।

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