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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बच्चों को अब बताया जाएगा कि देश की नींव कैसे रखी गई और किसने इसमें भूमिका निभाई। ‘राष्ट्रनीति’ नाम का नया शैक्षणिक कार्यक्रम इसी सोच के साथ शुरू किया जा रहा है, जिसका मकसद छात्रों में देशभक्ति, नैतिकता और नागरिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है।
किस तरह बदलेगा पढ़ाई का तरीका?
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद के अनुसार, यह नया पाठ्यक्रम कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए तैयार किया गया है। इसके ज़रिए बच्चों को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के इतिहास, विचारधारा और सामाजिक कार्यों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं की भूमिका को भी प्रमुखता से बताया जाएगा।
बच्चों को बताए जाएंगे "गुमनाम हीरो" की कहानियां
इस पाठ्यक्रम का एक खास सेक्शन उन नायकों को समर्पित होगा जिनकी देश के लिए की गई मेहनत को आमतौर पर पाठ्यपुस्तकों में जगह नहीं मिलती। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं का भी ज़िक्र होगा, जिन्होंने संगठन से जुड़कर योगदान दिया।
आरएसएस को लेकर "गलतफहमियों" को किया जाएगा दूर
पाठ्यक्रम तैयार करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल का एक उद्देश्य यह भी है कि आरएसएस के बारे में जो नकारात्मक धारणाएं लोगों में बनी हैं, उन्हें बदला जा सके। इसलिए किताबों में संगठन की भूमिका जैसे रक्तदान, आपदा राहत, और कोविड के समय किए गए कार्यों पर खास ध्यान दिया जाएगा।
शिक्षकों के लिए गाइडबुक तैयार, ट्रेनिंग जारी
शिक्षकों को इस नए सिलेबस को पढ़ाने में किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए उनके लिए नियमावली भी तैयार कर ली गई है। SCERT में उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हालांकि, अभी यह तय नहीं हुआ है कि कौन सी कक्षाएं किस अध्याय को पढ़ेंगी।