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success story: गुजरात के अमरेली जनपद में किसान तेजी से प्राकृतिक खेती की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यहां के किसान अलग अलग मॉडल विकसित कर पंचस्तरीय बागवानी फसलों की खेती कर रहे हैं।

अमरापुर गांव में जहां एक समय आम की खेती असंभव मानी जाती थी, वहीं घनश्यामभाई राजपरा ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से इसे संभव बना दिया। पहले तो घनश्यामभाई को गांव वाले पागल पागल कहते थे। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और वो इस वक्त लखपति हैं। वो 25 लाख रुपए महीना कमा रहे हैं।

38 वर्षीय घनश्यामभाई ने ग्रेजुएशन के बाद 15 साल तक कीटनाशक दवाओं का व्यापार किया, जिससे उनकी सालाना आय 25 लाख रुपये तक पहुंच गई। हालांकि, कीटनाशकों के पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को देखकर उन्होंने यह व्यवसाय छोड़कर सुभाष पालेकर की प्राकृतिक खेती को अपनाया।

10 वर्षों की मेहनत का परिणाम

घनश्यामभाई पिछले दस सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और उन्होंने एक मॉडल फार्म तैयार किया है, जिसमें आम, चीकू, अनार, जामफल और काजू जैसे फलों के साथ-साथ बैंगन, तुरई, गिलकी और मिर्च जैसी सब्जियों की भी खेती की जाती है। इससे उन्हें सालभर आय होती रहती है।

20 बीघा में प्राकृतिक खेती का जादू

राजपरा ने 20 बीघा जमीन में मूंगफली, चना, धनिया और तुअर जैसी फसलों की खेती की। उन्होंने इन फसलों को अच्छे दामों में बेचकर 25 लाख रुपये से अधिक की कमाई की।

 

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