नई दिल्ली॥ भारत में गरीबी का अनुमान लगाने के लिए मोदी सरकार ने एक सर्वे शुरू किया है। इसमें पोषण, पीने का पानी, हाउसिंग और कुकिंग फ्यूल जैसी सुविधाओं तक परिवारों की पहुंच का पता लगाया जाएगा। शोध से देश में गरीबी का स्तर पता लगाने में मदद मिलेगी। दरअसल कुछ सालों पहले सरकार ने गरीबी रेखा का प्रयोग करना बंद कर दिया था।
जबकि गरीबों की संख्या और गरीबी स्तर का पता लगाना सरकार के लिए सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं बनाने के लिहाज से जरूरी है। सी रंगराजन समिति ने 2014 की रिपोर्ट में गरीबों की संख्या में 10 करोड़ की बढ़त का अनुमान दिया था। कमिटी ने इसके लिए कन्जम्पशन एक्सपेंडिचर को आधार बनाया था। उसके अनुसार, देश में गरीबों की संख्या 36.3 करोड़, यानी कुल आबादी की 29.6 पर्सेंट है। यह आंकड़ा सुरेश तेंदुलकर समिति की पिछली रिपोर्ट में 26.98 करोड़ (21.9 पर्सेंट) पर था। हालांकि, एनडीए सरकार ने 2014 की रिपोर्ट को खारिज किया था।
एक वरिष्ठ सरकारी अफसर ने बताया कि इस बारे में नीति आयोग और मंत्रालय के अधिकारियों के बीच हाल ही में बैठक हुई थी। इसमें गरीबी का आकलन करने के लिए कार्यप्रणाली तय की गई थी। सर्वे के परिणाम के अनुसार, नीति आयोग एक गरीबी सूचकांक तैयार करेगा। इससे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रैंक किया जाएगा। इसका उद्देश्य राज्यों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाकर अधिक से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर लाना है। इस तरह देश की यूएन पावर्टी इंडेक्स में रैंकिंग सुधरेगी।