मध्य भारत के जंगलों से एक ऐसी खबर आई है जो दशकों पुरानी नक्सल समस्या की दिशा बदल सकती है। अब तक जो नक्सली "सत्ता बंदूक की नली से निकलती है" का नारा देते थे, अब वे 'बार्गेनिंग' (मोल-भाव) के मूड में आ गए हैं। एमएमसी (महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़) जोन के प्रवक्ता ने एक खुली चिट्ठी लिखकर यह साफ़ कर दिया है कि उनका संगठन बिखर रहा है और वे मुख्यधारा में लौटने को तैयार हैं।
जनवरी 2026: सरेंडर नहीं, 'पूनामारगम' का दिन
एमएमसी जोन के प्रवक्ता अनंत ने अपने साथियों को हड़बड़ी न करने की सलाह दी है। उन्होंने साफ़ कहा है, "दोस्तों, टुकड़ों में या अकेले-अकेले सरेंडर मत करो। हम सब एक साथ जाएंगे।" इसके लिए 1 जनवरी 2026 की तारीख तय की गई है।
नक्सलियों ने इसे 'आत्मसमर्पण' या हार मानने का नाम नहीं दिया है, बल्कि वे इसे 'पूनामारगम' यानी 'नया रास्ता' कह रहे हैं। उनका तर्क है कि मौजूदा हालात अब सशस्त्र संघर्ष (लड़ाई) के लिए ठीक नहीं हैं।
तीनों मुख्यमंत्रियों को खुला ऑफर
प्रवक्ता अनंत ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़—तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संदेश भेजा है। उन्होंने सुरक्षा बलों के ऑपरेशन रोकने की अपील की है और पुनर्वास के लिए वक्त मांगा है। उन्होंने यह भी ऐलान किया है कि इस बार वे कोई 'नक्सली सप्ताह' नहीं मनाएंगे और लड़ाई को विराम देंगे।
रेडियो पर होगी 'गुप्त' बात
- बाउपेंग (Baofeng) वॉकी-टॉकी का एक खुला फ्रीक्वेंसी नंबर जारी किया गया है।
- जनवरी 2026 तक, रोज सुबह 11:00 से 11:15 बजे के बीच इस फ्रीक्वेंसी पर संपर्क किया जाएगा।
- प्रवक्ता ने अपने साथियों से कहा है कि वे धैर्य न खोएं, एक-दूसरे से संपर्क साधें और विवेक से काम लें।
कुल मिलाकर, यह पत्र बताता है कि लाल आतंक की जड़ें अब कमजोर हो चुकी हैं और संगठन में भगदड़ मचने से पहले वे एक 'सम्मानजनक विदाई' चाहते हैं। अब देखना यह है कि कौन सी राज्य सरकार इस 'ऑफर' को स्वीकार करती है।
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