नई दिल्ली। देश में अगले 50 साल तक तक सरकार चलाने का उद्घोष करने वाली भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार इन दिनों सकते में है। लाख छिपाने के बावजूद सरकार और संगठन का भय जाहिर हो जा रहा है। ताजा मामला केंद्र सरकार द्वारा ब्याज दरों में कटौती के अहम फैसले को महज 18 घंटे में वापस लेने का है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा की ये फैसला भूल से ले लिया गया था, पुरानी ब्याज दरें बनी रहेंगी। वित्त मंत्री कुछ भी कहें सही बात तो ये है कि इस फैसले से असम और पश्चिम बंगाल में बीजेपी को होने वाले नुकसान को भांपकर ही सरकार ने इसे वापस लेने में ही भलाई समझी।
उल्लेखनीय है किकेंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती कर दी थी, लेकिन सुबह-सुबह होते सरकार ने अपने फैसले को वापस ले लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने ट्वीट में कहा है कि ये फैसला भूल से लिया गया था, पुरानी ब्याज दरें बनी रहेंगी। अब वित्त मंत्री कुछ भी बताएं, लेकिन इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं।
दर-असल जिस तरह से पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतें किसी भी सरकार के लिए चुनावी मुद्दा बन जाता है, उसी तरह असम और पश्चिम बंगाल समेत पांचों चुनावी राज्यों में करोड़ों लोगों द्वारा पीपीएफ, एनएससी, पोस्ट ऑफिस की जमाओं में लगने वाली गाढ़ी कमाई भी चुनावी मुद्दा बन गई है। चूंकि आज पश्चिम बंगाल और असम की 69 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान हो रहा है। इस फैसले से मोदी सरकार को तगड़े नुकसान का अंदेशा हो गया था। इसके अलावा विपक्ष को भी एक अहम सियासी मुद्दा मिल गया है।
बताते चलें कि बुधवार को मोदी सरकार ने अहम फैसले लेते हुए डाक बचत खातों में जमा राशि पर वार्षिक ब्याज को 04 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया था। इसी तर्ज पीपीएफ पर अब तक मिलने वाले 7.1 फीसदी प्रतिशत ब्याज को घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया था। इसी तर्ज एक साल के लिए जमा राशि पर तिमाही ब्याज दर को 5.5 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया गया था।
इसी तरह सीनियर सिटीजन को बचत योजनाओं पर अब तक माइन वाले 7.4 प्रतिशत को घटाकर 6.5 प्रतिशत ब्याज तिमाही करने की घोषणा की थी। इसी तरह दो साल के लिए जमा राशि पर 5.5 प्रतिशत ब्याज की जगह 5 प्रतिशत, तीन साल के लिए जमा राशि पर 5.5 प्रतिशत की जगह 5.1 प्रतिशत, 5 साल के लिए जमा राशि पर 6.7 की जगह 5.8 प्रतिशत ब्याज कर दिया गया था। इसी तरह एनएससी पर 6.8 प्रतिशत की बजाय 5.9 प्रतिशत, किसान विकास पत्र पर 6.9 प्रतिशत की जगह 6.4 प्रतिशत और सुकन्या समृद्धि योजना पर भी ब्याज दर को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत करने का फैसला लिया था।