नई दिल्ली।। जैन मुनि और राष्ट्र संत माने जाने वाले तरुण सागर जी महाराज का 51 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका समाधिमरण शनिवार की सुबह 3:18 बजे दिल्ली में हुआ। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनकी अंतिम संस्कार विधि आज दोपहर 3 बजे दिल्ली से 28 किमी दूर तरुणसागरम में होगी।
जैन मुनि तरुण सागर जी को करीब 3 हफ्ते पहले पीलिया हो गया था। जिसके बाद उन्हें यहां मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य सुधरता ना देख उन्होंने खुद ही इलाज कराना बंद कर दिया था और चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था। गुरुवार की सुबह उनकी तबीयत बिगड़ी। इसके बाद उन्हें दोबारा हॉस्पिटल ले जाया गया। इसके बाद अपने गुरु पुष्पदंत सागर महाराज की स्वीकृति के बाद संलेखना (आहार-जल न लेना) लेने का फैसला किया।
सीएम राजे ने मुनि तरूण सागर के देवलोकगमन पर शोक व्यक्त किया
दिल्ली जैन समाज के कार्यकर्ता रमेश चंद्र जैन द्वारा बताया गया कि, “मुनिश्री अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध रहे। इसी वजह से उन्हें क्रांतिकारी संत भी कहा जाता था। वहीं, कड़वे प्रवचन नामक उनकी पुस्तक काफी प्रचलित है। समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने में उन्होंने काफी प्रयास किये।” मुनिश्री मध्यप्रदेश और हरियाणा विधानसभा में प्रवचन भी दे चुके थे।
मरने के बाद कितना कम हो जाता है इंसान का वजन, यहां जानिए
हरियाणा विधानसभा में उनके प्रवचन को लेकर काफी विवाद हुआ था। उसके बाद संगीतकार विशाल ददलानी की टिप्पणी पर काफी बवाल हुआ था। तब विशाल को माफी मांगनी पड़ी थी। मुनिश्री को मध्यप्रदेश सरकार ने 6 फरवरी 2002 को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया था।
68500 शिक्षक भर्ती: छह हजार सफल चयनित अभ्यर्थियों के लिए आई बुरी खबर..
जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का मूल नाम पवन कुमार जैन था। उनका जन्म मध्य प्रदेश के दमोह जनपद के गांव गुहजी में 26 जून, 1967 को हुआ। मुनिश्री ने 8 मार्च 1981 को घर-बार छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली।
राम रहीम के बाद अब इस धर्मगुरु की करतूत का सच आया सामने, कहा बेटी की मर्जी से…
जैन धर्म के मुताबिक, मृत्यु को समीप देखकर धीरे-धीरे खान-पान त्याग देने को संथारा या संलेखना (मृत्यु तक उपवास) कहा जाता है। इसे जीवन की अंतिम साधना भी माना जाता है। हालाँकि राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में इसे आत्महत्या जैसा बताते हुये उसे भारतीय दंड संहिता 306 और 309 के तहत दंडनीय बताया था।
मोदी सरकार आज से बंद कर रही ये चीजें, आपकी लाइफ पर पड़ेगा बड़ा असर
दिगंबर जैन परिषद ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। दिल्ली स्थित लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ के प्रोफेसर वीर सागर जैन ने बताया कि संथारा की प्रक्रिया 12 साल तक भी चल सकती है। यह जैन समाज की आस्था का विषय है, जिसे मोक्ष पाने का रास्ता माना जाता है।
राशिफल 1 सितंबर 2018 : आज इन राशि वालो की चमकेगी किस्मत, भाग्य देगा आपका साथ…
जैन मुनि तरुण सागर की ये 10 बातें जो आपके जीवन में ला सकतीं हैं अहम बदलाव –
1- ध्यान रखें कभी भी माता-पिता डांटे तो बुरा नहीं मानना चाहिये, बल्कि ये सोचना चाहिये कि गलती होने पर माता-पिता नहीं डाटेंगे तो कौन डाटेगा। कभी अपने से छोटे व्यक्ति से कोई गलती हो जाये तो ये सोचकर उन्हें माफ कर देना कि गलतियां छोटे नहीं करेंगे तो और कौन करेगा।
जन्माष्टमी के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां
2- गुलाब कांटों के बीच में ही खिलता है। तुम भी प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रसन्न रहोगे तो लोग तुमसे भी गुलाब की तरह प्रेम करेंगे। हमेशा ध्यान रखना जीवित व्यक्ति ही प्रसन्न रह सकता है, मुर्दा कभी नहीं मुस्कुराता नहीं है, कोई कुत्ता चाहे तो भी मुस्कुरा नहीं सकता, प्रसन्न रहना तो सिर्फ मनुष्यों के भाग्य में ही है। इसीलिये हर पल खुश रहना चाहिये।
3- अगर किसी को जीतना है तो उसे तलवार से नहीं, बल्कि प्रेम से ही जीता जा सकता है। तलवार से उसे आप हरा सकते हैं, लेकिन उससे जीत नहीं सकते।
4- जब भी जीवन में परेशानियां आती हैं तो सहनशक्ति पैदा करो। जो सहता है, वही रहता है।
5- अपना चिंतन बदलोगे तो सबकुछ बदल जायेगा।
6-परिवार के किसी सदस्य को तुम नहीं बदल सकते। तुम अपने आपको बदल सकते हो, यह तुम्हारा अधिकार भी है। मंदिर और सत्संग से घर आओ तो तुम्हारी पत्नी को लगना चाहिये कि बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते हैं।
7-कभी वैसा मजाक किसी के साथ न करें, जैसा मजाक आप खुद सहन नहीं कर सकते हैं।
8- भले ही अपनों से लड़ लेना, झगड़ लेना, पिट जाना या फिर पीट देना, लेकिन कभी भी बोलचाल बंद नहीं करनी चाहिये, क्योंकि बोलचाल बंद होते ही सुलह के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।
9- अगर तुम्हारी वजह से किसी की आंखों में आंसू आए तो ये सबसे बड़ा पाप है। लोग मरने के बाद तुम्हारे लिये रोये, यही सबसे बड़ा पुण्य है। इसीलिये जिंदगी में ऐसे काम करना चाहिये कि, मरने के बाद आत्मा की शांति के लिये किसी और को प्रार्थना न करनी पड़े।
10- संघर्ष के बिना मिली सफलता को संभालना बड़ा मुश्किल होता है।
--Advertisement--