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लखनऊ।। बाबा साहेब को अपना आदर्श मानने वाले उत्तर प्रदेश के आईपीएस अधिकारी डॉ बी पी अशोक ने केंद्र सरकार के दलितों के प्रति रवैये को देखते हुए बड़ा कदम उठा लिया है। उन्होंने आहत होकर नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया है। डॉ अशोक ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया है। राष्ट्रपति को लिखे अपने इस्तीफे में डॉ अशोक ने अपनी पीड़ा का जिक्र किया है।

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उन्होंने लिखा है कि वर्तमान में ऐसी परिस्तिथियाँ पैदा हो गयी हैं जिनके कारण उन्हें भारी आघात पहुंचा है। पत्र में कुछ बिंदुओं का उल्लेख करते हुए डॉ अशोक ने लिखा है कि वो अपनी बड़ा कठोर निर्णय ले रहे हैं। पत्र में उन्होंने लिखा है कि —SC और ST को कमजोर किया जा रहा है।

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-संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए।रूल ऑफ जन,रूल ऑफ पुलिस के स्थान पर रूल ऑफ लॉ का सम्मान किया जाए।

-महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व अभी तक नहीं दिया गया।

-महिलाओं, SC/ST/OBC/माइनॉरिटी को उच्च न्यायालयों में अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया।
प्रोन्नतियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।

-श्रेणी 4 से श्रेणी 1 तक साक्षात्कार युवाओं में आक्रोश पैदा करते हैं।सभी साक्षात्कार बन्द किये जायें। ‘जाति’ के खिलाफ स्पष्ट कानून बनाया जाए।

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अंत में उन्होंने लिखा है कि इन संवैधानिक मांगों को माना जाए या मेरा त्यागपत्र /vrs प्रा. पत्र स्वीकार किया जाए। उन्होंने लिखा है कि पूरे देश के आक्रोशित युवाओं से शांति की अपील के साथ-साथ यह प्रा. पत्र प्रेषित किया जा रहा है ।अंत में डॉ अशोक लिखते हैं कि इस परिस्तिथि में मुझे बार-बार यही विचार आ रहा है कि ‘अब नहीं तो कब’ हम नहीं तो कौन’ , बता दें कि डॉ बी पी अशोक वर्तमान में अपर पुलिस अधीक्षक के पद पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात हैं ।

 

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