इस डेट को है Tulsi Vivah और देवउठनी एकादशी, ऐसे करें पूजा, मिलेगा शुभ फल

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देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार के साथ माता तुलसी का विवाह (Tulsi Vivah) किया जाता है। इस साल एकादशी तिथि 14 नवंबर की सुबह 5 बजकर 48 मिनट पर आरंभ हो जाएगी। ऐसे में एकादशी व्रत 14 नवंबर को रखा जाएगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि अगर एकादशी तिथि सूर्योदय से पहले लग जाती है तो व्रत उसी दिन रखा जाता है। इस साल तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी 14 नवंबर दिन रविवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि रविवार के दिन तुलसी तोड़ना वर्जित होता है लेकिन पूजा- अर्चना की जा सकती है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…

tulsi vivah

शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 14, 2021 को 05:48 am बजे
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 15, 2021 को 06:39 am बजे
पारण का समय – 15 नवंबर, 01:10 pm से 03:19 pm
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 01:00 pm

तुलसी विवाह (Tulsi Vivah)पूजा विधि

  • एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लें।
    -इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाएं, फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें।
  • मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी अवश्य अर्पित करनी चाहिए।
  • शाम के समय भगवान विष्णु की अराधना करते हुए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
  • एकादशी की पूर्व संध्या पर व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन व्रत के समय अन्न का सेवन वर्जित है।
  • एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए।
  • एकादशी का व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा देना चाहिए

एकादशी पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • फिर भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
  • अगर हो सके तो इस दिन व्रत भी रखें।
  • देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
  • देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें। भगवान की आरती करें। उन्हें भोग लगाएं।
  • भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।मान्यता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।Tulsi Vivah

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:57 am से 05:50 am
अभिजित मुहूर्त- 11:44 am से 12:27 pm
विजय मुहूर्त- 01:53 pm से 02:36 pm
गोधूलि मुहूर्त- 05:17 pm से 05:41 pm
अमृत काल- 08:09 am से 09:50 am
निशिता मुहूर्त- 11:39 pm से 12:32 am, नवम्बर 15
सर्वार्थ सिद्धि योग- 04:31 pm से 06:44 am, नवम्बर 15
रवि योग- 06:43 am से 04:31 pmTulsi Vivah
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