यूं तो भारत की इस भूमि ने कई ऐसे वीर पैदा किए हैं जिसने बिना कुछ बोले और बिना कुछ मांगे ही न सिर्फ इस देश बल्कि दुनिया भर में शांति के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है. आज भी हमारे देश लगभग हर एक दिन सीमा पर सुरक्षा करते हुए शहीद हो जाता है. हम इसलिए क्योंकी एक भारतीय मूल की ब्रिटिश जासूस रही नूर की शेरदिली और जज्बे को सलाम करते हुए ब्रिटेन ने उसका सम्मान किया था.
इतना ही नहीं ब्रिटेन में एक मुहीम चलाई गई थी. जिसके तहत एक याचिका दायर की थी जिसमें मांग की गई थी कि 2020 में 50 पॉउंड के नए नोट पर नूर इनायत खान की फोटो लगाई जाए.
जानकारी के मुताबिक इसके लिए देशभर से लोगों को पेटीशन पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है. जिस भारतीय मूल की महिला के नाम पर ब्रिटेन में मुहीम चल रही है उस नूर इनायत खान के बारे में जानना बेहद जरूरी और दिलचस्प भी है.
आप भी जानें आखिर कौन हैं नूर इनायत खान, किस वजह से नूर की हर बात बेहद खास बनाती है
नूर ने न सिर्फ फ्रांस में ब्रिटेन की तरफ से जर्मनी और हिटलर के खिलाफ जासूसी की थी. बल्कि उनकी नाक में दम कर दिया था. आपको बता दें कि टीपू सुल्तान की वंशज नूर इनायत खान से फ्रांस में 10 महीने तक की कड़ी यातनाओं के बाद भी कोई एक राज तक नहीं उगलवा सका था.
इस वीरता और समझदारी के लिए उन्हें मरणोपरांत ब्रिटेन के दूसरे सबसे बड़े सम्मान जॉर्ज क्रॉस से सम्मानित किया गया था.
गौरतलब है कि नूर का भारत और टीपू सुल्तान के साथ संबंध था बावजूद इसके भी वह ब्रिटेन की ओर से हिटलर के खिलाफ जासूसी क्यों करने गई तो आपको बता दें कि इसके पीछे एक लंबी कहानी है.
दरअसल नूर के पित इनायत खान को ही पश्चिमी देशों में इस्लाम की सूफी धारा का प्रचार करने वाला माना जाता है.
ऐसे में उन्होंने कई पश्चिमी देशों के दौरे किए. इसी दौरान उनकी मुलाकात एक अमेरिकी महिला से हई जिनकी बेटी नूर हैं. इनायत खान का परिवार फ्रांस और ब्रिटेन में रहा था.
इसी के चलते नूर फ्रेंच भाषा में निपुण थीं. लंदन में वह लोग एक अनुयायी द्वारा दान में दिए मकान में रहती थीं. इसी मकान में उनके पिता की मौत हो गई थी.
जिसके बाद परिवार की जिम्मेदारी नूर के कंधों पर आ गई.
क्योंकि नूर एक फ्रेंच रेडियो में भी काम कर चुकी थीं इसी के चलते ब्रिटेन ने जून 1943 में जासूसी के लिए रेडियो ऑपरेटर बना कर फ्रांस भेज दिया.
यहां से ही उन्होंने जर्मन तानाशाह हिटलर से संबंधित खास सूचनाएं ब्रिटेन को भेजी थीं.