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नई दिल्ली॥ जम्मू-कश्मीर के मसले पर मलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद की टिप्पणी के हिंदुस्तान ने उससे पाम ऑयल के आयात में कटौती कर दी थी। इस बीच दोनों देशों में बीते कई महीनों से जारी तनाव को सुलाझाने के लिए अब कूटनीतिक चैनल से बातचीत की कोशिशें जारी हैं। माना जा रहा है कि मलेशिया को हिंदुस्तान की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ा है।

विश्व के दूसरे सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक देश मलेशिया को कारोबार में झटका लगता दिखा है। पॉम ऑयल की बेंचमार्क कीमतों में बीते 11 सालों की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इस बीच मलेशिया के तेवर कुछ नरम हुए हैं और उसने बातचीत की इच्छा जताई है।

देखा जाए तो हिंदुस्तान और मलेशिया के सदियों पुराने सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध रहे हैं। साल 2019 में हिंदुस्तान मलेशिया के पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक रहा। पिछले साल की बात है, मलेशिया में नई-नई सरकार बनी थी। पीएम मोदी सिंगापुर जा रहे थे लेकिन मलेशिया के नव नियुक्त 90 साल के से अधिक आयु के पीएम महाथिर मोहम्मद को बधाई देने मलेशिया पहुंचे। लेकिन इसके बाद से हिंदुस्तान और मलेशिया के संबंध लगातार खराब हुए हैं।

पिछले साल जम्मू-कश्मीर से जब विशेष दर्जा वापस लिया गया और अनुच्छेद 370 और 35ए हटाया गया तब मलेशिया के पीएम मुहम्मद ने कश्मीर में उठाए गए हिंदुस्तान सरकार के कदमों की भी निंदा की थी और कहा था कि हिंदुस्तान ने कश्मीर पर जबरन कब्जा कर लिया है, फिर संयुक्त राष्ट्र में भी कश्मीर पर हिंदुस्तान का विरोध किया था। हिंदुस्तान को इससे खासी निराशा हुई थी और हिंदुस्तान ने मलेशिया के उच्चायुक्त को तलब करके अपनी आपत्ति जताई थी।

इसके बाद हिंदुस्तान ने सख्ती करते हुए पहले तो सितंबर 2019 में मलेशिया से इंपोर्ट होने वाले पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी को 5 प्रतिशत बढ़ा दिया था, तब हिंदुस्तान ने इंडोनेशिया से अच्छी डील मिलने के नाम पर किया था। फिर भी जब मलेशिया के सुर नरम नहीं हुए तो अब इस साल केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने मलेशिया से पाम ऑयल के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया। यह कदम मलेशिया के लिए जोर का झटका साबित हुआ और वह बातचीत की टेबल पर आने को राजी हो गया है।

अगर हिंदुस्तान और मलेशिया के आर्थिक रिश्तों की बात करें तो 2019 में हिंदुस्तान ने मलेशिया से 40.4 लाख टन पाम तेल खरीदा था। हिंदुस्तानीय कारोबारियों का कहना है कि अगर दोनों देशों में रिश्ते ठीक नहीं हुए तो 2020 में मलेशिया से हिंदुस्तान का पाम तेल आयात 10 लाख टन से भी नीचे आ जाएगा। इसके अलावा दोनों देशों के बीच लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है और पिछले कुछ सालों में मलेशिया की ओर से निर्यात लगातार बढ़ा है।

मलेशिया की जीडीपी में सिर्फ पाम ऑयल की हिस्सेदारी करीब 2.8 फीसदी है। उसे पता है कि हिंदुस्तान का एक भी कठोर कदम उसके लिए नुकसानदेह होगा। इसीलिए जब हिंदुस्तान ने पॉम ऑयल पर रोक लगाई तो यह उसके लिए किसी झटके से कम नहीं है। बता दें कि हिंदुस्तान और मलेशिया लंबे समय से एक दूसरे को समर्थन देते आए हैं, ऐसे समय में जब ज्यादातर बड़े मुस्लिम देश भी हिंदुस्तान में हो रहे बड़े बदलावों पर बयानबाजी से बच रहे हैं, अपने पुराने मित्र रहे मलेशिया का रुख हिंदुस्तान के लिए परेशान करने वाला था। इसलिए हिंदुस्तान का सख्त रवैया जरूरी था।

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हालांकि, मलेशिया से पाम ऑयल के आयात पर प्रतिबंध लगने से केवल मलेशिया पर ही असर नहीं पड़ रहा है, हिंदुस्तानीय कारोबारियों को अब मलेशिया के बदले इंडोनेशिया से पाम ऑयल खरीदना पड़ रहा है। हिंदुस्तान से इंडोनेशिया की दूरी मलेशिया से भी अधिक है। हिंदुस्तानीय व्यापारियों को इंडोनेशिया से पाम ऑयल खरीदने के लिए 10 डॉलर प्रति टन अधिक चुकाने पड़ रहे हैं। इसका असर पहले से ही दबाव झेल रही हिंदुस्तानीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।

फिर मलेशिया चीन और हिंदुस्तान के बीच का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। दक्षिण चीन सागर में हिंदुस्तान के लिए मलेशिया का विशेष रणनीतिक महत्व है। सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के मामले में भी हिंदुस्तान और मलेशिया एक दूसरे पर निर्भर करते हैं।

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