भोपाल: मध्य प्रदेश में 2012 से 2019 के बीच सबसे ज्यादा बाघों की मौत हुई है और अकेले इसी साल राज्य में 36 बड़े बाघो ने अपनी जान गंवाई है..आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में लगभग सभी रिजर्व में बाघों की मौत की बढ़ती संख्या न केवल ‘बाघ राज्य’ पर जोखिम डाल रही है, जिसे उसने 2018 में कर्नाटक के खिलाफ जीता था, बल्कि इसने वन विभागों के लिए और अधिक सुरक्षात्मक उपाय करने के लिए एक सवाल भी उठाया है। .
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश ने अखिल भारतीय बाघ अनुमानित रिपोर्ट 2018 में ‘बाघ राज्य’ का दर्जा सिर्फ दो बाघ – 526 से कर्नाटक के 524 के अंतर से जीता। लेकिन राज्य ने 2012 और 2019 (13 नवंबर, 2021, तक 36) के बीच 200 से अधिक बाघों को खो दिया है, इसके बाद इसी अवधि के दौरान महाराष्ट्र में 141 और कर्नाटक में 123 बाघों को खो दिया है।
वहीँ बता दें कि कान्हा टाइगर रिजर्व, जिसे दो जिलों मंडला और बालाघाट की परिधि में स्थित कान्हा-किसली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है, ने 2012 और 2019 के बीच 43 बाघों की मौत की सूचना दी है, जो देश में सबसे अधिक है। उमरिया जिले (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच की सीमा) में स्थित एक अन्य प्रमुख बाघ अभयारण्य बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में इसी अवधि में 38 बाघों की मौत की सूचना है।