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Up Kiran, Digital Desk: स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, बेंगलुरु के एस्टर सीएमआई अस्पताल ने एक दुर्लभ थायराइड विकार से जूझ रही 48 वर्षीय महिला का सफलतापूर्वक इलाज किया है। यह इलाज एक क्रांतिकारी मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया के माध्यम से किया गया, जिसमें मरीज के गले पर कोई निशान नहीं आया।

यह मामला एक 48 वर्षीय महिला का था, जिसे आवाज में भारीपन (होर्सनेस) और निगलने में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। बायोप्सी के बाद उसे फॉलिकुलर नियोप्लाज्म (Follicular Neoplasm) का पता चला। यह एक ऐसा ट्यूमर है, जिसमें 20 से 30 प्रतिशत मामलों में कैंसर होने की संभावना होती है। पारंपरिक थायराइड सर्जरी में अक्सर गले पर एक स्थायी निशान रह जाता है, लेकिन मरीज इस निशान से बचना चाहती थी, जिससे डॉक्टरों के सामने एक चुनौती थी।

इस चुनौती का सामना करने के लिए, एस्टर सीएमआई अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के लीड कंसल्टेंट, डॉ. रोहन एच. खंडेलवाल ने 'सबमंडिबुलर एप्रोच के माध्यम से एंडोस्कोपिक थायराइडेक्टोमी' नामक एक अत्याधुनिक और मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया को अंजाम दिया।

 इस तकनीक में, थायराइड ग्रंथि तक पहुंचने के लिए निचले जबड़े/ठुड्डी के पास छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिससे गले पर कोई बाहरी निशान नहीं आता। यह उन मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण कॉस्मेटिक लाभ प्रदान करता है, जो अपने गले पर निशान नहीं चाहते, खासकर युवा मरीजों के लिए।

डॉ. खंडेलवाल ने बताया कि यह प्रक्रिया अत्यधिक सटीकता सुनिश्चित करती है और मरीज की तेजी से रिकवरी में मदद करती है। इस सफल सर्जरी के बाद, मरीज को दो दिनों के भीतर छुट्टी दे दी गई और वह पूरी तरह से ठीक होकर सामान्य जीवन में लौट आईं।

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