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Chief Minister Pushkar Singh Dhami के कार्यकाल का एक साल 23 मार्च को पूरा होने जा रहा है। बीते वर्ष की बात करें, तो सीएम और उनकी सरकार का ज्यादातर वक्त उलझनों को सुलझाते हुए बीता है।

अब आने वाला साल सभी अन्य चुनौतियों को लेकर इंतजार में है। सबसे बड़ी चुनौती इलेक्शनों को लेकर होने जा रही है। इस एक साल के अंदर ही स्थानीय निकाय और लोकसभा इलेक्शन के लिए माहौल पूरी तरह से तैयार करना है। प्रदेश सरकार के सामने इलेक्शन को ध्यान में रखते हुए संभल-संभलकर बडे़ फैसले करने की बड़ी चुनौती है।

सीएम धामी 2022 के इलेक्शन में जीतने के बाद साल भर तक बहुत संभलकर अपनी सरकार को आगे ले जाने में कामयाब रहे हैं। हालांकि भर्तियों में घोटालों के बाद पूरे देवभूमि में सरकारी सिस्टम की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठ रहे हैं।

सीबीआई जांच की मांग हो रही है, मगर धामी सरकार नकल विरोधी कानून और बहुत से लोगों की गिरफ्तारियों की उपलब्धियों के साथ प्रश्नों का उत्तर दे रही है। महिला और राज्य आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण की उपलब्धि सरकार के खाते में दर्ज है। इन स्थितियों के बीच ही सीएम धामी पर वक्त वक्त पर भाजपा के एजेंडे को लागू करने का दबाव भी है। धामी सरकार इस बात पर राहत महसूस कर सकती है कि बेरोजगारों के बड़े आंदोलन को बामुश्किल ही सही, मगर फिलहाल संभाल लिया है।

 

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