राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए, मोदी सरकार को अभी भी अन्य दलों से करनी पड़ रही है ‘जी हुजूरी’

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नई दिल्ली, 20 सितंबर यूपी किरण। पिछले तीन दिनों से केंद्र की भाजपा सरकार एक बार फिर परेशान है ।‌ मोदी सरकार की परेशानी का बड़ा कारण राज्यसभा में उसकी स्थिति मजबूत न होना है । ‘पिछले छह वर्षों से राज्यसभा की सीटों का आंकड़ा मोदी सरकार को लगातार परेशान करता रहा है’ । इस समय हम आपसे राज्यसभा की बात इसलिए कर रहे हैं कि मोदी सरकार ‘कृषि विधेयक’ को लोकसभा से पास करा चुकी है, अब उच्च सदन यानी राज्यसभा की बारी है ।

आइए आपको बताते हैं संसद के उच्च सदन की मौजूदा स्थिति क्या है। राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, सदन में 86 सांसद भारतीय जनता पार्टी के हैं । केंद्र की भाजपा सरकार को कृषि बिल को पास कराने के लिए 122 वोटों की जरूरत है। अब भाजपा सरकार को इस बिल को पास कराने के लिए 36 राज्यसभा सांसदों के बहुमत की दरकार है । ऐसे में यह बिल पास कराना केंद्र सरकार के लिए एक चुनौती बनी हुई है। इन विधेयकों को लेकर एनडीए गठबंधन की सबसे पुरानी सहयोगी अकाली दल के विरोध की वजह से सरकार के लिए सदन के अंदर और बाहर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

हालांकि कुछ छोटे दलों ने अपना रुख साफ नहीं किया है । इन पार्टियों के राज्यसभा में करीब दर्जन सांसद हैं। 15 अन्य सांसद पहले से ही सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। दस सांसद कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से संसद की कार्यवाही में भाग नहींं ले रहे हैं । दूसरी ओर अकाली दल के इस विधेयक पर विरोध के बाद भाजपा सरकार के लिए थोड़ी और चुनौती बढ़ गई है।

भाजपा सरकार ने बिल पास कराने के लिए कर रखी है मोर्चाबंदी—

भाजपा सरकार ने राज्यसभा से कृषि बिल पास कराने के लिए मोर्चाबंदी शुरू कर रखी है । वहीं भाजपा आलाकमान ने अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी किया है। इसके साथ विपक्षी पार्टियों को भी इस विधेयक के समर्थन में लाने के लिए केंद्र के बड़े मंत्री बातचीत में लगाए गए हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह बिल पास कराना प्रतिष्ठा की बात बन गई है। राज्यसभा से भाजपा सरकार की कोशिश होगी कि इसे हर हाल में पास करवा लिया जाए। लेकिन अभी बहुमत के आंकड़े उसके अनुरूप नहींं बैठ रहे हैं।

केंद्र सरकार के कई मंत्री शिवसेना और एनसीपी के नेताओं से इस बिल को पास कराने के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं । बता दें कि शिवसेना-एनसीपी के साथ भाजपा के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं । संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है, ऐसे में महत्वपूर्ण विधेयक को पास कराने के लिए सरकार को विपक्ष पर आश्रित रहना पड़ रहा है। अकाली दल के विरोध के बावजूद सरकार को भरोसा है कि बीजू जनता दल के 9, एआईएडीएमके के 9, टीआरएस के 7 और वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीडीपी के 1 और कुछ निर्दलीय सांसद भी इस विधेयक का समर्थन कर सकते हैं ।

ये वे पार्टियां है जो न तो एनडीए के साथ है और न यूपीए के साथ । कृषि बिल के विरोध में पिछले दिनों शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर के मंत्री पद इस्तीफा देने की वजह से मोदी सरकार सबसे अधिक चिंतित है ।

राज्यसभा में भाजपा की सबसे अधिक सीटें उसके बावजूद गणित गड़बड़ाता है—-

हम आपको बता दें कि राज्यसभा में सबसे अधिक भारतीय जनता पार्टी की सीटें हैं, उसके बावजूद हर बार उसका ‘गणित गड़बड़ा’ जाता है । 245 राज्यसभा सीटों में से 86 सांसद उसके पास में है । लेकिन हर बार उस उसको इस सदन से बिल पास कराने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है ।जबकि 40 सदस्यों के साथ कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी है । यही कारण है कि प्रधानमंत्री को स्वयं भी हर बार मैदान में कूदना पड़ता है । इस बार भी पीएम मोदी खुद भी सक्रिय हैं ।

वे कई दिनों से किसानों और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को समझा रहे हैं कि इस बिल से कोई नुकसान नहीं होने वाला है । लेकिन विपक्ष के नेता वोट बैंक की खातिर इस पर अड़े हुए हैं । हम आपको बता दें कि राज्यसभा में तीनों विधेयकों पर चर्चा और वोटिंग के लिए चार घंटे का समय रखा गया है। इन विधेयकों के जरिए फसलों की खरीद में मंडी परिषदों का एकाधिकार खत्‍म करने का प्रावधान किया गया है। बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार से मंत्री पद छोड़कर विरोध किया है। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार कई मंचों से इन बिलों का महत्‍व समझाया है।

उन्‍होंने विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को झूठ करार दिया । पीएम मोदी ने विपक्ष के नेताओं को यह बताने का प्रयास किया है कि इससे के पास हो जाने से मंडियां खत्‍म नहीं होगी । उन्‍होंने कहा कि यह बिल किसानों को उनकी फसल अधिकतम कीमत देने वाले को बेचने की स्‍वतंत्रता देंगे। अकाली दल के तीन राज्यसभा सांसद निश्चित रूप से बिल के विरोध में वोट करेंगे। आम आदमी पार्टी के तीन सदस्य, समाजवादी पार्टी के आठ सांसद, बीएसपी के चार सांसद भी बिल के विरोध में वोट करेंगे। इसके बावजूद केंद्र की भाजपा सरकार सभी सियासी दांव चलते हुए राज्य सभा से बिल पास कराने में सफल हो जाती है, लेकिन उसे इसके लिए जुगाड़ बहुत करनी पड़ती है ।

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