होली के परंपरागत व्यंजन

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होली रंगों के साथ हर्ष और का त्योहार माना जाता है। अब होली जैसे त्योहार की बात हो और व्यंजनों की चर्चा न हो तो समझो होली फीकी है। वैसे हमारे देश में हर त्यौहार के कुछ अलग व्यंजन हैं। होली पर भी परंपरागत रूप से कई प्रकार के व्यंजन बनाये जाते है, जिसमे गुझिया, गोझा, मठरी और ठंडाई आदि शामिल हैं। आइये यहां पर हम होली पर तैयार किये जाने वाले कुछ ख़ास व्यंजनों की चर्चा करते हैं —

गुझिया

होली के त्योहार पर गुझिया का जिक्र न हो यह कैसे हो सकता है। गुझिया एक पारंपरिक व्यंजन है। इसे बनाने के लिए मैदे, खोए, मेवे व कुछ अन्य सामग्रियों की आवश्यकता होती है। मैदे को खूब गूंथ कर और उसके बाद उसे बेलकर भरावन की प्रक्रिया की जाती है। फिर उसे घी में तल ले। गुझिया बनाने में समय लगता है। हालांकि गुझिया बनाना बेहद सरल है।

गोझा

अवध के गांवों में गोझा को गुझिया का दूल्हा कहा जाता है। इस रसीले व्यंजन के आगे रसगुल्ला की क्या विसात। गोझा बनाने में गेहूं के आंटे, गुड़, सोंठ, इलायची और लौंग की आवश्यकता पड़ती है। आंटे को गूथकर उसमे गुड़, सोंठ, इलायची और लौंग का भरावन भरा जाता है। उसके बाद उसे घी या तेल में धीमी आंच पर तला जाता है। गोझा को लोग गर्मागर्म खाना पसंद करते हैं।

बेसन के लड्डू

बेसन के लड्डू एक सदाबहार मिठाई है। मोटे बेसन को घी में भूनकर लड्डू बनाए जाते है। बेसन के लड्डू बनाना आसान होता है और इसे बनाने में समय भी काम लगता है। होली के मौके पर समय निकलकर बेसन के लड्डू जरूर बनाये और खिलाएं।

मठरी

मठरी होली का प्रिय व्यंजन है। घर पर इसे आसानी से बनाया जा सकता है। बीएस मैसे में नमक, अजवाइन, जीरा, सौंप आदि चीजें डालकर उसे खूब गूंथ लें। गूंथने के बाद उसे चौके पर बेल ले। बेलने के बाद धारदार चाकू से कट मारकर उसे डिजायनदार काट लें। काटने के बाद कढ़ाई में घी ;का रिफाइंड तेल में उसे अच्छे से तल लें और मेहमानों को शान से परोसें।

ठंडाई

ठंडाई उत्तर भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध पेय है। इसे कई प्रकार के मसलों, गुलाब की पत्तियों और बादाम को पीसकर दूध में डालकर बनाते है। इसे खासतौर पर होली के अवसर पर बनाते है। होली के दिन ठंडाई में भांग भी मिलाई जाती है।

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