यूपी में घटी बेरोजगारी! पूर्व छात्रनेता ने सीएमआईई के आंकड़ों को बताया महज बेईमानी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शिक्षित-अशिक्षित बेरोजगारों की फ़ौज वर्षों से काम मिलने का इन्तजार कर रही है। जो श्रमिक रोजी-रोटी के लिए महानगरों में गए थे, गत वर्ष के लॉकडाउन में वे भी बेरोजगार होकर घर वापस आ गए। सूबे की योगी सरकार की तमाम घोषणाओं के बावजूद किसी को घर-गांव में रोजगार नहीं मिला। लॉकडाउन खत्म होने के बाद योगी सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने कोरोनाकाल में महानगरों से वापस आये सवा करोड़ लोगों को रोजगार दे दिया गया। प्रदेश में किन लोगों को कहां और किस सेक्टर में रोजगार मिला? इसकी जानकारी शायद सरकार के अलावा किसी को नहीं है।

उल्लेखनीय है कि लगभग तीन दशकों में यूपी में नए उद्योग-धंधे नहीं शुरू हुए। अधिकांश पुराने कारखाने बंद हो गए या सरकारों द्वारा घाटा दिखाकर औने-पौने दामों में बेच दिए गए। सूबे में योगी सरकार को भी सत्तारूढ़ हुए चार वर्ष हो गए। इन चार वर्षों में भी सूबे में कल-कारखाने नहीं लगे। हालांकि ‘एक जनपद एक उत्पाद’, ‘माटी कला’, किसानों की आय दोगुनी करने और स्किल डेवलोपमेन्ट जैसी कई योजनाओं का जमकर प्रचार हुआ। कहा गया कि ये योजनाएं प्रदेश की तस्वीर बदल देंगी। हालांकि सरकार द्वारा प्रचारित ये योजनाएं अभी तक धरातल पर नजर नहीं आ रहीं हैं। आज भी लाखों बेरोजगार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

इस दौरान योगी सरकार की तमाम कल्पित उपलब्धियों का बखान किया जाता रहा। इस क्रम में योगी सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है कि योगी सरकार को राज्य में रोजगार के मामले में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। सीएमआईई रिपोर्ट के मुताबिक़ इस साल फरवरी में बेरोजगारी की दर घटकर 4.1 प्रतिशत पर आ गई है। बताते चलें कि लॉकडाउन के चलते राज्य में बेरोजगारी की दर 21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने कहा कि सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से पहले बेरोजगारी दर 17.5 प्रतिशत थी। इसके बाद 2020 की शुरूआत में राज्य सरकार इसे 10 प्रतिशत तक लाने में कामयाब रही, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप और उसके बाद के लॉकडाउन के चलते सूबे में बेरोजगारी दर बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई थी। सहगल ने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में लघु एवं सूक्ष्म उद्योग के क्षेत्र में कई कदम उठाए गए। इसके साथ ही वैश्विक दिग्गज कंपनियां भी सूबे में निवेश के लिए आकर्षित हुई हैं।

इस संबंध में एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सचिव राघवेंद्र नारायण का कहना है कि बेरोजगारी के आकड़े महज बेईमानी हैं। रोजगार की दिशा में योगी सरकार का कार्यकाल यूपी के छात्रों और नौजवानों के लिए ‘ब्लैक एरा’ के रूप में याद किये जाएंगे। योगी सरकार की इन कथित उपलब्धियों से सूबे के छात्र और नौजवान व्यथित हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के रद्द होने का सिलसिला सूबे में बदस्तूर जारी है। नौजवान-बेरोजगारों के लिए सरकार के पास टाइम ही कहां है? उन्हें अपनी लड़ाई आगे आकर खुद लड़नी पड़ेगी। राघवेंद्र नारायण ने कहा कि छात्र और नौजवान आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा, सपा और बसपा (ट्रिपल पार्टी गुगली) का मुंहतोड़ जवाब जरूर देंगे।

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