केंद्रीय कृषि मंत्री कैलास चौधरी ने कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों पर साधा निशाना, कहा किसानों को गुमराह कर रही कांग्रेस

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जयपुर, 13 सितम्बर, यूपी किरण केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों पर कृषि से संबंधित अध्यादेशों के मुद्दे पर किसानों को गुमराह करने की कोशिश का आरोप लगाया। न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था जारी रहने पर जोर देते हुए चौधरी ने कहा कि इन अध्यादेशों के लागू होने के बाद किसानों की आय बढ़ेगी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पर निशाना साधते हुए कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों में किसान ‘दिवालियापन’ की ओर बढ़ रहा है तथा विकास में पिछड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान में कांग्रेस किसानों का पूरा कर्ज माफ करने और बेरोजगार युवाओं को रोजगार भत्ता देने के वादे पूरे नहीं कर पाई है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शनिवार को आरोप लगाया था कि मोदी सरकार पहले जमीन हड़पने का अध्यादेश लाई और अब खेती हड़पने के तीन कानून लाई है। इस पर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले किसानहित एवं राष्ट्रहित में तीन अध्यादेशों को मंजूरी दी थी जिनमें ‘किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश’, ‘किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर समझौता अध्यादेश’ तथा ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश’ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अभी तक फसलों को अपने दामों पर बेचने की स्वतंत्रता नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को मंडी में जाना पड़ता था और लाइसेंस धारक उनकी फसलें खरीदते थे और वे उनकी उपज का दाम तय करते थे।’’

कृषि राज्यमंत्री चौधरी ने कहा, ‘‘किसानों की क्या गलती है और उन पर इस तरह की पाबंदी क्यों?’’ उन्होंने कहा कि किसान अब अपनी उपज कहीं से भी बेच सकते हैं, चाहे घर हो, खेत हो, वेयरहाउस हो या शीतगृह हो। मंडी के बाहर बेचे जाने वाले कृषि उत्पादों की खरीद और बिक्री पर कोई कर नहीं है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस के लोग अध्यादेशों के मुद्दे पर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

कल्पना के आधार पर भ्रम फैलाना ठीक नहीं : 

केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान जितना बजट पूरे कृषि मंत्रालय का होता था उससे अधिक तो हम अकेले पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम में दे रहे हैं। कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म हो जाएगा। मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहता हूं कि सरकार ने ऐसा कहां कहा है। सिर्फ कल्पना के आधार पर भ्रम फैलाना ठीक नहीं है। केंद्र सरकार न तो मंडी खत्म करेगी और न एमएसपी। हम लोग सिर्फ किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। उनके लिए मार्केट को बड़ा कर रहे हैं।

किसान को दिया फसल मूल्य तय करने का अधिकार : 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कांट्रैक्ट फार्मिंग को लागू किया गया है। इसमें कोई भी किसान अपना अच्छा बुरा देखकर ही दाम तय करेगा। यदि किसी उपज के लिए एग्रीमेंट 100 रुपये का हुआ और उसका रेट मार्केट में कम हो गया तो भी ट्रेडर को खरीदना ही पड़ेगा। यदि दाम 130 रुपये हो गया तो किसान अपना फैसला ले सकता है कि वो किसे बेचे। हम तो किसानों के पक्ष में फैसला ले रहे हैं। कृषि क्षेत्र में सुधार कर रहे हैं जबकि कुछ ताकतें हैं कि भ्रम फैलाने से बाज नहीं आ रही हैं।

तीन सुधारों पर पर कृषि राज्यमंत्री ने दिए ये तर्क :

  1. एसेंशियल कमोडिटी एक्ट: जब किसान की उपज खरीदने वाले ज्यादा होंगे तो उसे उपज का ज्यादा दाम मिलेगा. वर्षों पुराने एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में संशोधन के बाद अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू जैसी फसलों का व्यापार मुक्त तरीके से किया जा सकेगा।
  2. कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश: यह किसानों को उनकी उपज देश में किसी भी व्यक्ति या संस्था (एपीएमसी सहित) को बेचने की इजाजत देता है। किसान अपना प्रोडक्ट खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकते हैं।
  3. 3 फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस: इस अध्यादेश की वजह से किसान प्रत्यक्ष रूप से विपणन से जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। इस अध्यादेश से किसान अपना यह जोखिम कॉरपोरेट खरीदारों को सौंपकर फायदा कमा सकेंगे।

 

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