Up Forest Corporation : कितने पंजीकृत ठेकेदारों को पेड़ों की लाट खरीदने का आफर प्राइज व्हाटसएप पर भेज रहा यूपी वन निगम? उठने लगे सवाल

img

लखनऊ। अप्रैल माह में यूपी वन निगम पेड़ों की लाट की नीलामी की नयी व्यवस्था लाया है। इसके तहत बिकी लाटों में आमंत्रित मूल्य (आफर प्राइस) की व्यवस्था शुरू की जा रही है। नयी व्यवस्था के मुताबिक क्रेता को व्हाटसएप पर ही लाटों की बिक्री का आफर मूल्य भेजा जाएगा। 48 घंटे के अंदर यदि क्रेता यह मूल्य स्वीकार कर लेता है तो यह मूल्य स्वत: सिस्टम पर विक्रय मूल्य में परिवर्तित हो जाएगा। यदि समय से क्रेता इस मूल्य पर सहमति नहीं देता है तो निर्धारित सामान्य नीलाम प्रक्रिया के अनुसार उस लाट की नीलामी करायी जाएगी। हालांकि अभी यह व्यवस्था प्रायोगिक तौर पर 30 अप्रैल तक के लिए ही लागू की गयी थी। अब इसे आगे बढाने पर भी विचार हो रहा है। पर सवाल उठ रहे हैं कि लाटों का आमंत्रित मूल्य कितने पंजीकृत ठेकेदारों के ​रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर भेजा जा रहा है।up forest e-auction - Up Forest Corporation

उठने लगे यह सवाल

निगम से जुड़े ठेकेदारों का कहना है कि यह व्यवस्था उचित नहीं है। इस व्यवस्था में पारदर्शिता नहीं दिख रही है। इस व्यवस्था के आने से अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों को ही आफर प्राइस व्हाटसएप पर भेज देंगे और ठेकेदार भी अधिकारी से सांठगांठ करके अपने मनमाफिक दर पर लाटों की खरीददारी कर लेगा। उनका कहना है कि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि यह मूल्य सभी पंजीकृत ठेकेदारों को भेजा जा रहा है या फिर चंद लोगों को। यदि व्यवस्था को पारदर्शी बनाना है तो उन्हें इस मूल्य को सार्वजनिक करना चाहिए। इससे निगम को ही फायदा होगा।

महाप्रबंधक विपणन रामकुमार ने नयी व्यवस्था को बनाने की बतायी ये वजह

महाप्रबंधक विपणन रामकुमार ने इस बारे में जारी कार्यालय आदेश में कहा है कि विभिन्न डिपो में हो रही ई नीलामी प्रक्रिया में प्रभागीय विक्रय प्रबंधक, क्षेत्रीय प्रबंधक के अनुमोदन की संस्तुति होने के बाद जीएम और एमडी स्तर पर मूल्य सही नहीं पाये जाने पर प्रक्रिया निरस्त कर दी जाती है। फिर ई नीलामी में उसी क्रेता व अन्य दूसरे क्रेताओं अल्प मूल्य वृद्धि करके बोली लगायी जाती है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। क्रेता लाटों को क्रय करने का इच्छुक होता है पर सही मूल्य के संबंध में अनभिज्ञता की वजह से अपेक्षित स्तर तक बोली देने में असमर्थ रहता है। इस तरह प्रक्रिया महीनों तक लम्बित रहती है। इससे काष्ठ की गुणवत्ता का हास होता है, जो निगम हित में नहीं है। इसी को देखते हुए यह नयी व्यवस्था लायी गयी है।

Uttar Pradesh Forest Corporation: ÓñªÓñ©ÓÑìÓññÓñ¥ÓñÁÓÑçÓñ£ÓÑïÓñé Óñ«ÓÑçÓñé ÓñÁÓñ┐Óñ¡Óñ¥Óñù ÓñòÓÑç ÓñàÓñ½Óñ©Óñ░ÓÑïÓñé ÓñòÓÑÇ Óñ╣ÓÑçÓñ░Óñ¥Óñ½ÓÑçÓñ░ÓÑÇ Óñ©Óñ¥Óñ¼Óñ┐Óññ Óñ½Óñ┐Óñ░ Óñ¡ÓÑÇ ÓñòÓñ¥Óñ░ÓÑìÓñ░ÓñÁÓñ¥Óñê Óñ©ÓÑç ÓñòÓññÓñ░Óñ¥ Óñ░Óñ╣ÓÑç Óñ«ÓÑüÓñûÓñ┐Óñ»Óñ¥, ÓñÅÓñ«ÓñíÓÑÇ Óñ¼ÓÑïÓñ▓ÓÑç ÓñÂÓñ┐ÓñòÓñ¥Óñ»Óññ ÓññÓÑï Óñ¼ÓÑÇÓñ© Óñ©Óñ¥Óñ▓ Óñ©ÓÑç…

Related News