img

चमोली। साल 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान अस्तित्व में आया था। इससे पहले देश की एक साझा सांस्कृतिक विरासत थी। पाकिस्तान की नापाक सोच के चलते आज दोनों देशों के संबंध बेहद खराब हो चुके हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच कभी न पटने वाली दूरी बन चुकी हैं लेकिन आज भी जो हिंदू और सिख पाकिस्तान में रहते हैं, उनका हिंदूस्तान से अटूट लगाव और आस्था है। पाकिस्तान में रहने वाले तमाम हिंदू और सिख आज भी धार्मिक रूप से भारत से ख़ासा जुड़ाव महसूस करते हैं। बता दें कि हिंदुओं और सिखों के अधिकांश धार्मिक स्थल हिंदुस्तान में ही हैं। यही करना हैं पाकिस्तान में रहने वाले श्रद्धालु भारत आते रहते हैं। (Uttarakhand)

इन दिनों में पेशावर के ननकाना साहिब से 48 श्रद्धालु उत्तराखंड (Uttarakhand) में स्थित हेमकुंड साहिब पहुंचे हैं। बता दें कि ननकाना साहिब गुरुद्वारा लाहौर से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यही पर करीब 550 साल पहले सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का जन्म हुआ था और उन्होंने पहली बार यहीं पर उपदेश भी दिया था। ननकाना सिखों का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। गुरु नानक साहिब को पाकिस्तानी गांव के मुस्लिम मुखिया ने इसी स्थान पर जमीन दी थी।

बताया जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक साहिब का जन्म 1469 में रायपुर तलवंडी जिले में हुआ था। बाद में इस स्थान का नाम ननकाना साहिब हो गया। ननकाना साहिब में 9 गुरुद्वारे हैं। कहते हैं ननकाना साहिब से हर साल श्रद्धालु हेमकुंड आते हैं। इसे सिख तीर्थों की सबसे कठिन तीर्थ यात्रा माना जाता है। दरअसल उत्तराखंड (Uttarakhand) में स्थित हेमकुंड साहिब चारों तरफ से ग्लेशियर से घिरा हुआ है। मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु, गुरू गोविंद सिंह ने यहां वर्षों तक भगवान महाकाल की आराधना की थी।

कहते हैं कि हर वर्ष जब हेमकुंड साहिब के कपाट खुलते हैं तब पाकिस्तान के पेशावर ननकाना साहिब से सिख श्रद्धालु हेमकुंड साहिब में आकर माथा टेकते है। इस साल भी सिख जत्था हेमकुंडआया हुआ है। इस वर्ष सिख जत्थे की अगुवाई सतेंद्र सिंह कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गुरुद्वारा ट्रस्ट की तरफ से यात्रा की अच्छी व्यवस्था की गई है। यहां आकर मन को काफी खुशी मिली है। (Uttarakhand)

--Advertisement--