वास्तुशास्त्र में घर के मुख्य द्वार की रचना पर बल दिया गया है। कहा गया है कि घर का मुख्य द्वार को जितना मजबूत और सुंदर होगा वास्तुपद भी उतना ही सम्मत होगा। घर का मेन गेट सभी सुखों को प्रदान करने वाला होता है। यह भवन का मुख्य अंग होने की वजह से घर का मुखिया भी होता है। कहते हैं कि अगर गेट की स्थिति सही होती है तो कई दोषों का निवारण खुद ही हो जाता है।
- घर का मेट गेट हमेशा साफ सुथरा रहना चाहिए। ऐसा करने से घर में धन की कभी कमी नहीं होती है और हमेशा सुख समृद्धि का वास होता है।
- अगर दरवाजे में टूटे हो या फिर आवाज कर रहे हों तो उसकी मरम्मत करा लें इससे वास्तु दोष होता है। ऐसे घरों में नौकरी को लेकर प्रॉब्लम आती है आर्थिक समस्या बढ़ती है।
- गेट में लगे कब्जे दुरुस्त होने चाहिए। अगर दरवाजों के कब्जों से आवाज आती है तो घर में सुख-समृद्धि और आरोग्यता का वास होता है।
- घर का मेन द्वार बहुत छोटा या बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। ये हमेशा भवन के अनुपात में होना चाहिए। मान्यता है कि बहुत बड़े दरवाजे वाले घरों में धन नहीं रुकता है।
- अगर किवाड़ भवन के अंदर की तरफ लटक जाए तो बहुत अशुभ होता है। इसे तुरंत ठीक करा लेना चाहिए।
- घर का मुख़्य द्वार पारदर्शी नहीं होना चाहिए। कहते हैं जिस घर में ऐसे दरवाजे होते हैं वहां की सकारात्मक ऊर्जा जल्द ही समाप्त हो जाती है और बरकत नहीं होती।
- मेन गेट पर कभी भी किसी देवी देवता की फोटो नहीं लगानी चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से उनका निरादर होता है और वे नाराज हो जाते हैं।
- मुख्य द्वार पर हमेशा स्वास्तिक, कलश और हाथ जोड़ने का चित्र लगाना चाहिए। ये शुभ होता है।