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महाभारत काल में महाराजा धृतराष्ट्र के सलाहकर रहे महात्मा विदुर (Vidur Niti) की गिनती उस समय के समझदार व्यक्तियों में होती थी। धार्मिक मान्यता है कि पांडव भगवान श्रीकृष्ण का साथ और महात्मा विदुर की समझदारी की वजह से महाभारत का युद्ध जीत सके थे। विदुर में दूरदर्शिता और समझदारी होने पर भीउनमें तनिक सा भी घमंड नहीं था। विदुर नीति (Vidur Niti) महात्मा विदुर और महाराजा धृतराष्ट्र का वह संवाद है जिसमें उन्होंने जीवन से जुड़े कई प्रसंगों का वर्णन किया है। विदुर नीति में उन्होंने सुख समृद्धि प्राप्त करने के भी उपाय बताये हैं।

अहंकार

वे कहते हैं कई जिन लोगों में बुरी आदतें होती हैं, उनके यहां मां लक्ष्मी की कृपा कभी नहीं बरसती है। विदुर कहते हैं कि जो लोग सुख समृद्धि चाहते हैं उन्हें अपनी अपनी बुरी आदतों को त्याग देना चाहिए। विदुर नीति (Vidur Niti)  में बताया गया है कि जिन्हें अपनी श्रेष्ठता का अहंकार होता है। जो लोग जरूरत से ज्यादा दान देते हैं,और जो खुद को सबसे अधिक बुद्धिमान समझते हैं उन अपर मां लक्ष्मी की कृपा कभी नहीं होती है।

काम, क्रोध और लालच

मनुष्य को सुख समृद्धि चाहिए तो उसे काम, क्रोध और लालच से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। वे कहते हैं कि जो लोग इनसे दूरी बनाकर रखते हैं, उनका जीवन सुखमय और समृद्धिशाली होता है। वहीं लोग इन बुरी आदतों को नहीं छोड़ पाते हैं वे अपने लिए खुद ही नरक का रास्ता चुन लेते हैं।(Vidur Niti)

अधर्म

विदुर कहते हैं कि जो लोग पैसा कमाने के लिए अधर्म का रास्ता अपनाते हैं या उसके लिए कोई गलत काम करते हैं। ऐसे लोगों का त्याग कर देना चाहिए। अधर्मी लोगों के साथ रहने से व्यक्ति अपना ही नुकसान कर बैठता है। (Vidur Niti)

असंतोषी व्यक्ति

विदुर नीति (Vidur Niti)  में बताया गया है कि जिन लोगों में जलन, असंतोष, क्रोध और शंका जैसे दुगुर्ण होते हैं और वे दूसरों पर आश्रित रहते हैं। उनके दिल में दूसरों के लिए नफरत होती है। ऐसे लोग जीवन भर दुखी रहते हैं। उन्हें कभी सुख नसीब नहीं होता. इसलिए ऐसे लोगों से सदैव दूरी बनाकर रखना चाहिए।

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