2006 में निठारी की डी फाइव कोठी खूनी कोठी के नाम से मशहूर हुई। इस कोठी में 18 19 महिला और बच्चियों को शिकार बनाया। ना केवल उनकी इज्जत लूटी गई बल्कि उनके शवों के टुकड़े भी किए गए। कोठी के पास नाले से तमाम जो लाशें हैं वो बरामद की गई थीं। एक के बाद एक बच्ची जब इस इलाके से गायब होना शुरू हो गई।
महिलाएं गायब होना शुरू हो गई तो मामला पुलिस तक पहुंचा और जब पुलिस ने तफ्तीश की तो इस नाले से तमाम महिला और बच्चियों के शवों के टुकड़े मिलना शुरू हुए। जिसके बाद इस डी फाइव कोठी की तलाशी ली गई।
कोठी में मोनिंदर पंढेर, सुरेन्द्र कोली रहते थे। जब कोठी की तलाशी ली गई तो उस वक्त पुलिस अफसरों ने इस बात की तस्दीक की थी कि यहां फ्रिज के अंदर कुछ जो शरीर हैं, शरीर के अंग हैं वो इस कोठी के अंदर पड़े हुए थे। उसके बाद सुरेन्द्र कोहली और मोहिंदर पंढेर को 2006 में अरेस्ट कर लिया। डासना जेल में उनको रखा गया। बाद में पूरा मामला सीबीआई द्वारा जांचा गया और सीबीआई की अदालत ने कोहली और पंढेर को फांसी की सजा सुनाई थी।
उस पूरे मामले को लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को जो है उस पर रोक लगा दी। इसको कैंसिल कर दिया है। वहीं अब इस फैसले के आने के बाद वो परिवार जिनके बच्चियां जिनके परिवार की महिलाएं इस पूरे कांड में शिकार हुई थीं वो कहीं न कहीं न्याय की लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं।
मृतकों के परिजन उठा रहे हैं सवाल
इस डी फाइव कोठी की अगर बात की जाए तो सेक्टर 30 नोएडा का है। निठारी कांड से ये पूरा मामला मशहूर हुआ था। देश विदेश में तमाम लोग डी फाइव कोठी देखने के लिए यहां पर हुजूम लगा करता था। मगर, आज फैसला आने के बाद फिर इस कोठी को लेकर तमाम तरीके के जो सवाल हैं वो मृतकों के परिजन उठा रहे हैं।
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