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हमास और इजराइल के बीच अभी तक जंग जारी है। दोनों ही एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। तो वहीं बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इजराइल जैसे मजबूत देश के साथ हमास जैसा छोटा समूह इतनी कड़ी टक्कर कैसे ले रहा है? आखिर इतने अत्याधुनिक हथियार और गोला बारूद वह कैसे अरेंज करता है और कहां से होती है इसकी फंडिंग। आज के इस खबर में हम आपको विस्तार से बताएंगे।
यहूदी देश पर हमला कर दुनिया भर में फिर से सुर्खियों में आया हमास एक फिलिस्तीनी इस्लामी संगठन है, जिसका गाजा पट्टी पर कब्जा है। इस संगठन ने इस्राइल के खात्मे की शपथ ली है और उसके बाद कई बार युद्ध हो चुके हैं। 2007 में हमास ने गाजा पट्टी को ब्लॉक कर दिया था और यहीं से अपनी मंसूबो को अंजाम दे रहा है।
ये देश करते हैं फंडिंग
इजराइल का नियंत्रण वेस्ट बैंक और अल अक्सा मस्जिद पर है, जिसे हमास मुक्त कराकर अपनी ओर मिलाना चाहता है। इस्राइल जैसे मजबूत देश से आखिर हमास जैसा छोटा संगठन टक्कर कैसे लेता है? दरअसल, इसके पीछे ग्रुप को मिलने वाली फंडिंग का अहम रोल है। वैसे तो हमास को कई देशों से मदद मिलती है, पर इसका समर्थन करने वाले देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर ईरान और तुर्की का नाम आता है। फाइनेंशियल मजबूती देने और सैन्य हथियार मुहैया कराते हुए ईरान काफी वक्त से हमास का समर्थन कर रहा है।
खबरों की माने तो हमास को खाड़ी और कुछ पश्चिमी मुल्कों से पैसा मिलता है जो इस्लामिक चैरिटी के रूप में हमास के अकाउंट में पहुंचता है। इसके अलावा सीरिया भी हमास का समर्थक है और इसकी सहायता के लिए हमेशा आगे रहता है। एक रिपोर्ट की मानें तो हमास को आर्थिक रूप से सबसे बड़ा योगदान ईरान की तरफ से ही मिलता है। ईरान हमास को लगभग 70 फीसदी फाइनेंशियल सपोर्ट देता है। खबरों की माने तो ईरान सालाना 100 मिलियन डॉलर की मदद ईरान से हमास को मिलती है और अब इस मदद का इस्तेमाल हमास इजरायल से जंग के मैदान में कर रहा है।