केंद्र में 10 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए विपक्षी दल एक राष्ट्रव्यापी गठबंधन बनाने के लिए एक साथ आए थे। उसका नाम इंडिया रखा गया। लोकसभा चुनाव में कई चुनौतियों का सामना करते हुए यह गठबंधन बीजेपी के खिलाफ खड़ा है। मगर विपक्षी दलों के गठबंधन को दिए गए नाम को लेकर कई विवाद भी हैं।
इंडिया नाम के इस्तेमाल के खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। इस याचिका पर कांग्रेस ने मंगलवार को कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। साथ ही कांग्रेस की ओर से अनुरोध किया गया है कि राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित याचिका को खारिज किया जाए।
कांग्रेस ने हाई कोर्ट में जवाब देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता याचिका का मुख्य उद्देश्य बताने में असफल रहे हैं। यह याचिका राजनीति से प्रेरित है। साथ ही इसे पुणे में एक राजनीतिक रणनीति लाने के इरादे से भी दाखिल किया गया है। कांग्रेस ने कोर्ट में सौंपे बयान में यह भी आरोप लगाया है कि इन याचिकाकर्ताओं ने जानबूझकर यह तथ्य छुपाया है कि वे विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हुए हैं।
कांग्रेस ने यह जवाब गिरीश भारद्वाज नाम के एक शख्स की याचिका पर जवाब देते हुए दिया। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी विरोधी पक्षों को एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। विपक्षी पार्टियां देश के नाम का गलत फायदा उठा रही हैं। इसलिए उन्हें इंडिया नाम का इस्तेमाल करने से रोका जाए, याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ सुनवाई करेगी।
इस बीच कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि इस याचिका को दाखिल करने का मकसद अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को मजबूत करना है। वे भारत को अग्रणी बताने से होने वाले संभावित नुकसान के बारे में सबूत देने में विफल रहे हैं। साथ ही, याचिकाकर्ता गठबंधन का नाम इंडिया रखने पर रोक लगाने वाले किसी भी कानूनी प्रावधान को इंगित करने में विफल रहा है। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि यह याचिका कोर्ट को राजनीति और चुनाव में उलझाने की दुर्भावना से दायर की गई है।
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