Up kiran,Digital Desk : छत्तीसगढ़ के सरगुजा का शांत माहौल मंगलवार को उस वक्त जंग के मैदान में तब्दील हो गया, जब सैकड़ों गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस बल पर ही धावा बोल दिया। यह कोई मामूली विरोध नहीं था। ग्रामीणों के हाथों में लाठी-डंडे, गुलेल और यहाँ तक कि कुल्हाड़ियाँ भी थीं। देखते ही देखते, पूरा इलाका पत्थरों और आँसू गैस के गोलों की बौछार से भर गया।
इस खूनी झड़प में 40 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं, वहीं पुलिस की जवाबी कार्रवाई में भी करीब एक दर्जन ग्रामीणों को चोटें आई हैं।
लेकिन आखिर यह नौबत आई क्यों?
यह पूरा बवाल सरगुजा जिले के अमेरा कोल खदान को लेकर शुरू हुआ। खदान प्रबंधन अपने खदान का विस्तार करना चाहता है, लेकिन परसोडी कलां गांव के लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि यह सब उनकी मर्ज़ी के खिलाफ और बिना उनकी जमीन का अधिग्रहण किए हो रहा है।
ग्रामीणों का सीधा-सीधा आरोप है कि खदान प्रबंधन जबरदस्ती उनकी जमीनों पर कब्जा कर खदान को फैला रहा है। इसी बात का विरोध करने के लिए जब ग्रामीण इकट्ठा हुए, तो हालात बिगड़ गए।
बातचीत नहीं, चलीं लाठियां और पत्थर
जब पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुँची, तो बातचीत के बजाय माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया। गुस्साए ग्रामीणों पुलिस पर और हाथों में जो भी हथियार थे, उनसे हमला कर दिया।
हालात को काबू से बाहर होता देख, पुलिस को भी हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस के गोले दागने पड़े। इस झड़प के बाद से ही पूरे इलाके में भारी तनाव बना हुआ है। अंबिकापुर से और भी ज़्यादा पुलिस फोर्स को मौके पर भेजा गया और जिले के बड़े-बड़े अधिकारी खुद वहां मौजूद रहकर हालात को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।
एक तरफ जहां ग्रामीण अपनी जमीन बचाने पर अड़े वहीं दूसरी तरफ प्रशासन कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश कर रहा इस लड़ाई में जीत किसी की भी हो, पर इंसानियत लहूलुहान हो रही है।

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