इसरो के सूर्य मिशन आदित्य ने पृथ्वी की कक्षा में छलांग लगा दी है और सूर्य की ओर एक कदम आगे बढ़ा दिया है। ये सूर्य पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एल बन कौन से सूर्य का अध्ययन करेगा? हालांकि इतनी दूर सूर्य की गर्मी के बीच ये काम आसान नहीं है। आदित्य एल वन को इस हिसाब से तैयार किया गया है कि वो सूर्य की भीषण गर्मी को झेल सके। सूर्य के ऊपरी वातावरण को मुख्यरूप से तीन परतों में बांटा गया है। फोटो स्पीयर, क्रोम और स्पीयर।
पूर्ण सबसे ऊपरी परत है जो कि एक रहस्य से कम नहीं है। आदित्य चार महीने बाद एल्पाइन पर पहुंच जाएगा और अपना काम शुरू कर देगा। इस मिशन से मिलने वाली जानकारी का इन्तजार भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को है। दरसल पूर्ण सूर्य की सबसे ऊपरी परत है लेकिन इसका टेम्परेचर बाकी परतों से 500 से 2000 गुना तक ज्यादा है। इसकी मोटाई लगभग 10,000 किलोमीटर बताई जाती है।
साइंटिस्टों के मुताबिक इस परत का टेम्परेचर 10 से 20 लाख डिग्री सेल्सियस तक है। यहां पर आवेशित गैसों की लपट लहराती रहती है। ग्रहण के दौरान इस परत को देखा जा सकता है। ऊपर से नीचे की ओर बढ़ें तो पूरी परत क्रोम स्पीयर है जो कि पूर्णा के नीचे और फोटो स्पीयर के ऊपर है।
माना जाता है कि ये परत 3000 किलोमीटर मोटी है। ये परत लाल रंग की है और जिस तरह से हाईड्रोजन को जलाने पर रंग दिखता है वैसा ही कुछ इसका रूप है। गैसें सौर तरंगें उठती हैं जो कि कोरोना तक जाती हैं। इस परत का टेम्परेचर 7000 से 14000 डिग्री सेल्सियस तक बताया जाता है। इन तीन परतों में सबसे नीचे फोटो स्पीयर है। आदित्य एलन मिशन इन रहस्यों को सुलझाने की कोशिश करेगा।
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