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लोकसभा चुनाव से पहले सियासी दलों में दलबदल की राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता बीजेपी का दामन थाम रहे हैं तो बीजेपी के नेता कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं।

हालांकि कांग्रेस में कई दलों के साथ गठबंधन की चर्चा भी चल रही थी कि कांग्रेस जो है कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भारत आदिवासी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है। आरएलपी का भी नाम चल रहा था कि आरएलपी के साथ भी दो सीटों को लेकर कांग्रेस गठबंधन कर सकती है। मगर अब आरएलपी को एक करारा झटका लगा है। उम्मेदाराम बेनीवाल जस्साराम चौधरी जो कि आरएलपी की रीड की हड्डी भी कह सकते हैं, काफी कद्दावर नेता थे। दोनों ने ही कांग्रेस का दामन थाम लिया।

यूं कह सकते हैं कि अब कांग्रेस को कुछ हद तक मजबूती मिली है, क्योंकि जिस तरह कांग्रेस के कद्दावर नेता बीजेपी का दामन थाम रहे थे, चाहे वो महेंद्रजीत मालवीय हो, लालचंद कटारिया हो, राजेंद्र यादव हो या फिर रिछपाल सिंह मिर्धा हो। ये लगातार जिस तरह बीजेपी का दामन थामा था उसके बाद धड़कनें तेज हो गई थी कि आखिर कौन कौन बीजेपी का दामन थामेगा। मगर उसके बाद राहुल कस्वां ने कांग्रेस का दामन थामा। उसके बाद अब उम्मेदाराम बेनीवाल और जस्साराम चौधरी जो कि आरएलपी से आते हैं दोनों ही कद्दावर नेता रहे आरएलपी के। इन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। अब दलबदल की राजनीति यहीं नहीं थमेगी।

कई और नाम भी निकलकर सामने आ रहे हैं जिससे संकेत बीजेपी की ओर से भी दिए गए थे कि और कांग्रेस के बड़े नेता उनके साथ संपर्क में है। वो जो है बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।

कांग्रेस ने दिए संकेत

एक संकेत कांग्रेस की ओर से भी दिया गया है कि कई और नेता कांग्रेस जल्द ही ज्वाइन करेंगे। संकेत दोनों दे दिए हैं और बीजेपी अपना संकेत देने में लगी है जो है कांग्रेस अपने संकेत देने में लगी है। मगर जिस तरह गठबंधन की बात कही जा रही थी अब गठबंधन होना भी मुश्किल है। 

क्योंकि भारत आदिवासी पार्टी तो कह चुकी है कि हम कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। सीटों को लेकर मंथन किया जा रहा था। अंदरखाने से खबर भी निकलकर सामने आ रही थी कि कहीं ना कहीं जो है पांच सीटों को लेकर मंथन जो है। भारत आदिवासी पार्टी और कांग्रेस के बीच चल रहा है। शायद मंथन बना नहीं। चर्चाओं का दौर चल रहा था। 

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