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Up Kiran, Digital Desk: इस साल विश्व शौचालय दिवस (19 नवंबर 2025) हमें एक बार फिर याद दिला रहा है कि हमारे आस-पास के शौचालयों की स्थिति पर ध्यान देना कितना ज़रूरी है. यह सिर्फ़ स्वच्छता की बात नहीं है, बल्कि हमारी माताओं, बहनों और बेटियों की सुरक्षा और सम्मान का सीधा सवाल है. हम सभी अक्सर घर के बाहर निकलने पर एक बात को लेकर परेशान रहते हैं - साफ़ शौचालय कहाँ मिलेगा? और यह परेशानी ख़ासकर महिलाओं के लिए और भी बड़ी हो जाती है.

आइये, बात करते हैं क्यों साफ़ और सुरक्षित शौचालय महिलाओं के लिए बेहद ज़रूरी हैं:

  1. स्वास्थ्य का सवाल: गंदे शौचालयों में हर तरह के कीटाणु पलते हैं, जिससे यूरिन इन्फेक्शन (UTI), पेट से जुड़ी बीमारियां और अन्य संक्रमणों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. महिलाएँ ऐसे संक्रमणों की चपेट में जल्दी आ सकती हैं. जब साफ़ शौचालय नहीं मिलते, तो कई महिलाएँ पेशाब रोकने की कोशिश करती हैं, जिसका सीधा असर उनके किडनी और मूत्राशय के स्वास्थ्य पर पड़ता है, और बाद में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.
  2. आत्मसम्मान और सुविधा: किसी भी महिला को शौचालय जैसी निजी ज़रुरत के लिए सार्वजनिक स्थानों पर परेशान होते देखना दुखद है. साफ़, अच्छी तरह से रखरखाव वाले और पर्याप्त प्राइवेसी वाले शौचालय उन्हें सम्मान और सुविधा प्रदान करते हैं. उन्हें हर बार इस मूलभूत सुविधा के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती. यह उन्हें समाज में एक बराबर और सम्मानजनक महसूस कराता है. खुले में शौच से उनकी गरिमा को ठेस पहुँचती है.
  3. शिक्षा और रोज़गार पर असर: स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों के लिए अगर साफ़ शौचालय नहीं होते, तो वे अक्सर स्कूल जाना छोड़ देती हैं. ख़ासकर पीरियड्स के दौरान, अच्छी सुविधा न होने के कारण कई लड़कियाँ घर बैठ जाती हैं. कामकाजी महिलाएँ भी ऑफिस या बाहर काम करते समय अगर उन्हें साफ़ टॉयलेट न मिलें तो परेशानी महसूस करती हैं, जो उनके काम पर भी असर डालता है. स्वच्छ शौचालय उन्हें बिना किसी रुकावट के अपनी पढ़ाई और काम जारी रखने में मदद करते हैं.
  4. मानसिक सुकून: यह छोटी सी सुविधा महिलाओं को कितना मानसिक सुकून देती है, यह अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाता है. उन्हें बार-बार साफ़ टॉयलेट ढूँढ़ने की चिंता नहीं सताती, जिससे वे सार्वजनिक जगहों पर और यात्रा के दौरान ज़्यादा सुरक्षित और सहज महसूस करती हैं. जब यह बुनियादी ज़रूरत पूरी होती है, तो महिलाएँ अपने काम पर, अपनी दिनचर्या पर बेहतर तरीके से ध्यान दे पाती हैं. खुले में शौच करने से महिलाओं में चिंता और तनाव बढ़ता है.

तो अगली बार जब आप एक सार्वजनिक शौचालय देखें, तो बस इतना याद रखें कि यह सिर्फ़ एक दीवार से घिरा ढाँचा नहीं है. यह हमारी महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान का प्रतीक है. आइये, मिलकर ऐसी पहल करें और करवाएं, जिससे हर जगह महिलाओं को साफ़ और सुरक्षित शौचालय मिल सकें. इसी में सबकी भलाई है और एक बेहतर समाज की नींव भी.

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