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World News: पाकिस्तान कई क्षेत्रों में पिछड़ा हुआ है जैसे कंगाली और महंगाई, मगर उसने एक ऐसा काम किया है जिसकी सराहना की जानी चाहिए - तरबेला बांध का निर्माण। ये बांध मिट्टी और चट्टानों से बना है और इसे दुनिया के सबसे बड़े मिट्टी से बने बांध के रूप में मान्यता प्राप्त है।

तरबेला बांध का निर्माण 1968 में सिंधु नदी पर शुरू हुआ और 1978 में पूरा हुआ। ये खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हरिपुर जिले में स्थित है और इसकी ऊंचाई नदी के तल से 143 मीटर है। इसके जलाशय में 11.62 मिलियन एकड़ फ़ीट (14.3 बिलियन क्यूबिक मीटर) पानी संग्रहित करने की क्षमता है।

ये बांध सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और बिजली उत्पादन के लिए जरूरी है और यह सिंधु नदी के मौसमी उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। तरबेला बांध के निर्माण पर 1.49 बिलियन डॉलर की लागत आई थी और यह भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 की सिंधु जल संधि के तहत सिंधु बेसिन परियोजना का हिस्सा है।

आपको बात दें कि तरबेला बांध पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में अहम भूमिका निभाता है। ये सिंधु जल संधि के तहत हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच जल विवादों को सुलझाने में भी सहायक है। और तो और ये स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है।

 

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