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Up Kiran, Digital Desk: क्या आप भी भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं? अगर हाँ, तो नवंबर महीने की यह खबर आपके लिए चिंता बढ़ा सकती है. क्या आप जानते हैं कि विदेशी निवेशकों (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों - FPIs) ने इस महीने में भारतीय बाजारों से कितनी बड़ी रकम निकाल ली है? एक ऐसी चाल, जो अक्सर भारतीय बाजार की चाल को बदलने की ताकत रखती है, इस बार काफी महत्वपूर्ण हो सकती है. जी हां, नवंबर 2025 में विदेशी फंडों (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने भारतीय बाजारों से कुल 13,925 करोड़ रुपये वापस निकाल लिए हैं! यह आंकड़ा उन लोगों के लिए सोचने पर मजबूर करता है जो भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार की सेहत को लेकर आशंकित हैं.

क्या है इस निकासी की वजह?

जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालते हैं, तो इसके कई कारण हो सकते हैं. इनमें ग्लोबल मार्केट में बदलती परिस्थितियाँ, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, या फिर घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़ी कुछ चिंताएं शामिल हैं. आमतौर पर, जब दुनिया के बड़े बाजारों में ज्यादा कमाई के मौके दिखते हैं, या डॉलर के मुकाबले रुपया कमज़ोर होता है, तो FPIs पैसा निकालना शुरू कर देते हैं. नवंबर का यह आंकड़ा बताता है कि कहीं न कहीं विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजार पर थोड़ा डगमगाया है. यह उनकी ओर से एक जोखिम से बचने का संकेत भी हो सकता है.

भारतीय बाजार पर क्या होगा असर?

विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से इतनी बड़ी मात्रा में पूंजी निकालना कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

  1. बाजार पर दबाव: इस तरह की बिकवाली अक्सर भारतीय शेयर बाजार में दबाव पैदा करती है, जिससे प्रमुख सूचकांक जैसे सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आ सकती है.
  2. निवेशक सेंटिमेंट: यह घरेलू निवेशकों के सेंटिमेंट को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे वे भी सतर्क हो सकते हैं.
  3. तरलता (Liquidity) में कमी: जब बड़े निवेशक पैसा निकालते हैं, तो बाजार में तरलता (खरीदने-बेचने की आसानी) कम हो सकती है.

हालांकि, यह पूरी तस्वीर नहीं है. कई बार घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) विदेशी निवेशकों की बिकवाली को बैलेंस कर लेते हैं. लेकिन FPIs की यह बड़ी निकासी निश्चित तौर पर बाजार के लिए एक चुनौती बनी रहेगी और हमें आने वाले समय में इसके और परिणामों को देखना होगा. यह दिखाता है कि भारतीय बाजार, वैश्विक संकेतों से कितना गहराई से जुड़ा हुआ है.