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न खाऊंगा न खाने दूंगा, यह सिर्फ जुमला है। देश में क्या चल रहा है वह तो खैर आप देख ही रहे हैं। लेकिन यह न खाऊंगा, न खाने दूंगा और भ्रष्टाचार पर हल्ला बोल। 

बीजेपी के राज में छोटे छोटे गांवों में किस तरह से भ्रष्टाचार हो रहा है, किस तरह से गरीब आदिवासी किसानों के नाम पर अफसरों और बिजली कंपनी के ठेकेदारों का क्या घोटाला चल रहा है, वो इसी बात से पता लगा लो कि न कनेक्शन हुआ न बिजली के खंभे लगे। लेकिन इनके नाम पर बिजली ठेकेदारों ने करोड़ों के बिल पेश कर दिए और अफसरों ने भी आंखें बंद करके बिल पास कर दिए। अब जब करोड़ों का घोटाला है तो कौन जांच करेगा और कौन गरीबों की सुनेगा। क्या है पूरा मामला, आईये आपको बताते हैं।

दरअसल, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा किसानों को कृषि कनेक्शन देने के कार्य में भारी भ्रष्टाचार सामने आया है। उदयपुर जिले के झाड़ोल सर्कल में 55 किसानों को कनेक्शन देने थे। कंपनी ने दिए तो केवल 15 कनेक्शन और सभी 55 कनेक्शन का बिल पेश कर दिया।

अफसरों ने भी आंख बंद करके 2 करोड़ ₹19 लाख का बिल पास कर दिया है। आदिवासी बहुल झाड़ोल के किसान अभी भी कनेक्शन का इंतजार कर रहे हैं। केवल झाड़ोल सर्कल में कंपनी 850 कनेक्शन का पैसा पहले ही उठा चुकी है। अंतिम कनेक्शन की पड़ताल की तो अनियमितताएं सामने आई।

तो वहीं उदयपुर जनपद में सिंचाई के लिए 6000 किसानों को कृषि कनेक्शन देने के लिए निगम ने कंपनी को करोड़ों रुपए का टेंडर दिया था। कंपनी ने 40436 किसानों को कनेक्शन देने के लिए बिल निगम को सौंप दिए हैं। इनमें झाड़ोल सर्कल के 900 कनेक्शन भी शामिल हैं। अंतिम 55 कनेक्शन का बिल फरवरी में निगम को दिया और मार्च में वह पास भी हो गया।

अब हकीकत ये है कि 55 में से केवल 15 किसानों को ही कनेक्शन दिए गए और शेष 40 के कुछ भी काम नहीं हुआ। बावजूद इसके अधिकारियों की मिलीभगत से 2 करोड़ ₹19 लाख का बिल गत 18 मार्च को पास हो गया और तीनों के साइन होने के बाद यह बिल पास हुआ है। जिन किसानों को कनेक्शन नहीं मिले हैं, उनके सबके एक ही बात सामने आई है कि एक साल पहले आवेदन किया था। छह माह पहले डिमांड जमा करवा दी लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं हुआ है।

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