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शबे कद्र या लैलतुल कद्र को फरमान की रात और ताकत की रात भी कहा जाता है। रमजान के अंतिम 10 दिन में लैलतुल कद्र की रात आती है। ये रात सबसे पाक और सबसे अहम मानी जाती है। इस रात में मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।

इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक इस रात अल्लाह अपने बंदों से मिलने और उनकी दुआएं सुनने सातवें आसमान से पहले आसमान पर आ जाते हैं। यही वजह है कि इस रात में मुस्लिम लोग पूरी रात जागकर प्रार्थना करते हैं। इस रात को शबे कद्र की रात भी कहा जाता है। तो आइए इस खबर में बताते हैं कि आखिर शबे कद्र की रात क्या पढ़ना चाहिए और इस रात को कैसे पहचाना जाता है।

आपको बता दें यह पाक रात रमजान महीने के आखिरी दिनों में यानी आखिरी अशरे में आती है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जिब्राइल सलाम के द्वारा कुरान शरीफ की आयतें प्यारे हजरत पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर नाजिल हुई थी। यही वजह है कि इस रात को शबे कद्र की भी रात कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अल्लाह ताआला  रोजेदार की हर दुआ पर कुबूल है करते हैं।

आपको बता दें कि आखिरी पांच रात 21, 23, 25, 27 और 29 में से कोई भी एक रात शब-ए-कद्र की रात हो सकती है। तो चलिए ऐसे में जान लेते हैं कि आखिर इस रात क्या करना चाहिए।

मान्यताओं के अनुसार, शबे कद्र यानी लैलतुल कद्र की रात में कुरान की तिलावत करनी चाहिए और अपने गुनाहों की अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए। इस रात नफिल नमाज पढ़ते हैं। ये रात मुस्लिम लोग अल्लाह की इबादत में बिताते हैं। रमजान महीने की सभी रातों में शबे कद्र की रात बहुत सलामती वाली रात कहलाती है। इस रात गुनाहों से तौबा कर रोजेदारों को अल्लाह की इबादत करके गुजारनी चाहिए। 

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