
हमारा जीवन आसान नहीं है। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. एक ख़ुशहाल ज़िंदगी एक पल में बदल जाती है। कई सुख दुख आते हैं और वक्त के साथ चलते जाते हैं। 'पंचायत 3' में हमें इस बात का चित्रण देखने को मिलता है कि कैसे सौहार्दपूर्वक रहने वाले लोगों की जिंदगी हर पल बदलती रहती है। इसका सबूत आपको 'पंचायत 3' देखकर मिलेगा।
शुरुआत में ही बता देना चाहिए, जिन्होंने 'पंचायत' का पिछला सीज़न नहीं देखा है, उन्हें पहले इसे देखना चाहिए। अगर आप सीधे 'पंचायत 3' देखेंगे तो आपको कहानी समझ नहीं आएगी. मगर अगर आप पिछले दो सीजन देखेंगे तो आपको 'पंचायत 3' देखने में ज्यादा मजा आएगा। पिछले सत्र में सचिव अभिषेक त्रिपाठी का ट्रांसफर हो गया होगा. मगर 'पंचायत 3' में अभिषेक का ट्रांसफर किसी कारण से रद्द हो जाता है और वह वापस फुलेरा गांव आ जाता है. अपने बेटे के शहीद होने पर प्रह्लाद दुःख से उबर गया। विकास अपनी जिंदगी में प्यार और आर्थिक खर्चों को मैनेज कर रहे हैं। सचीव जी और रिंकी का रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ गया है. गांव में पंचायत चुनाव की बयार चल रही है।
मंजू देवी और भूषण उर्फ बनराकस के दोनों परिवार नए प्रधान बनने के लिए आपस में भिड़ रहे हैं। ऐसे में 'पंचायत 3' में आपको फुलेरा गांव में क्या होगा इसकी दिलचस्प कहानी देखने को मिलेगी। अगर आपको गांव का जीवन समझना औऱ वहां की राजनीति जाननी है तो आप इस सीरीज को जरुर देखें। आपको गांव से प्यार हो जाएगा।