कोरोना काल में योगी सरकार कर्मचारियों के खिलाफ ले रही गलत निर्णय : सुरेश सिंह

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लखनऊ, 19 सितम्बर यूपी किरण। लोक निर्माण विभाग की कर्मचारी संगठन उप्र चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री सुरेश सिंह यादव ने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गलत निर्णय किये जा रहे है। कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहे सरकारी कर्मचारियों के पहले भत्ते काटे गये, डी0ए0 सीज किया गया। 50 वर्ष के बाद जबरन सेवानिवृत्त किये जाने और अब नई नियुक्ति बन्द कर संविदा कर्मचारियों के रूप में भर्ती जिसका स्थायीकरण 5 वर्ष बाद समीक्षा के उपरान्त किया जायेगा। जिससे सरकारी कार्य निश्चित रूप से प्रभाािवत होगा।
           
 उन्होंने कहा कि सरकार की इस नीति से योग्य कर्मिकों का सरकारी सेवा से मोह भंग हो रहा है। कोरोना काल में राज्य सरकार के कर्मचारियेां के शोषण करने का एक नया तरीका निकाल लिया है। सरकार ने किसी भी कर्मचारियों को संविदा पर भर्ती के बाद 5 वर्ष तक उसकी समीक्षा करने का निर्णय लिया है और हर 6 महीने में समीक्षा की जायेगी। सरकार की इस कर्मचारी विरोधी व्यवस्था में सभी सेवा संवर्गो के हित प्रभावित होंगे सरकार का यह कर्मचारी विरोधी फार्मूला स्वीकार नहीं है।
 प्रदेश अध्यक्ष रामराज ने कहा कि 5 वर्ष संविदा से नौकरी की शुरूवात सिर्फ प्रतियोगी बेरोजगार ही प्रभावित नहीं होंगे बल्कि नौकरी पेशेवाले तमाम कर्मचारी प्रभावित होंगे, जो अपने जमीर से समझौता नहीं करते। उच्चाधिकारी अभियन्तों जी हुजूरी न करने पर आप की सैलरी रोकते है। इस नीति से चाटुकारिता और भ्रष्टाचार का वह दौर शुरू होगा कि नौकरी बचाने के लिये अधिकारियों के तलवे चाटते-चाटते गुलामी करते-करते आपकी आम्मा मृत प्राय हो जायेगी। सरकार की यह नीति बेरोजगारों के लिए बृजपात जैसा है।
 उन्होंने कहा कि उप्र में समस्त विभागों में चतुर्थ श्रेणी के लगभग साढ़े चार लाख पद रिक्त सभी विभागों का कार्य लगभग ठप पड़ा है, सरकार भर्ती नहीं कर रही है। एक तरफ सरकार रोजगार सृजन की बात करती है, दुसरी तरफ बेरोजगारी को बढ़ावा दे रही है। सरकार को चाहिए कि चतुर्थ के रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती शुरू करवाएँ।
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