
भरपूर नींद लेना हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता हैं, हम सबको अपनी नींद बहुत प्यारी होती हैं, खासकर आज के बच्चे इसके आदी है जब भी वो पढ़ने बैठते है उन्हें नींद आने लगती है, यही वजह है नींद उनकी दुश्मन बनी बैठी है। लेकिन बहुत से लोग ऐसे है जिन्हें बेवजह नींद आती रहती है, चाहे वो थके हो य न हो। दिन में 8,9 बार वो सोने के आदी होते है।ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक यह एक दिमागी बिमारी है, जो लंबे वक़्त तक चलती है। इसमें व्यक्ति को कभी भी नींद आने लगती है। बीमार व्यक्ति का दिमाग सोने और जागने की सामान्य प्रक्रिया के हिसाब से काम नहीं करता।
-पूरे दिन नींद आती है और जागने और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है।
-बीमार व्यक्ति एकाएक सो जाता है। उसे अचानक नींद आती है।
-स्लिपिंग पैरालाइसिस की परेशानी होती है, जिसमें व्यक्ति सोने और जागने के वक़्त कुछ देर के बोलने और चलने में असक्षम हो जाता है।
-सोने के दौरान और जागने से पहले ज़्यादा सपने देखना।
नार्कोलेप्सी क्यों होती है
-अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि बीमार व्यक्ति को हायपोक्रिटन हार्मोन, जिसे ऑरेक्जिन भी कहते हैं, की कमी होती है।
-यह हार्मोन दिमाग को जगाए रखने में मदद करती है।
-जब शरीर की प्रतिरोध क्षमता इस हार्मोन को पैदा करने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करती है तो यह बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
-हालांकि नार्कोलेप्सी सिर्फ़ इसी वजह से नहीं होती है, इसके कारण पूरी तरह से अब तक स्पष्ट नहीं हैं।
क्या है इसका इलाज
-इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, पर कुछ दवाइयों की मदद से इसके असर और प्रभाव को कम करने की कोशिश की जाती है।
-निश्चित समय अंतराल पर सोने की कोशिश से दिन में नींद के दौरे को कम करने का बेहतर तरीका माना जाता है।
-कुछ दवाइयों की मदद से दिन में जगाने की कोशिश की जाती है।
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