समाज को जनसंख्या के अनुपात में सरकारी नौकरियों और राजनीति में भागीदारी दे सरकार- राम आसरे विश्वकर्मा

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जयपुर।। अपने हक़ को पाने के लिए अब विश्वकर्मा समाज जागरूक हो गया है और समाज की भागीदारी के लिए सड़क पर उत्तर कर आंदोलन करने को भी तत्पर है। अब सरकार को समाज की जनसंख्या के अनुसार सरकारी नौकरियों व विधानसभा और सरकार में भागीदारी देनी ही होगी।उक्त बातें जयपुर के मानसरोवर के गुलाब विला मैदान में जांगिड-सुतार स्वाभिमान यात्रा के समापन के अवसर पर आयोजित विशाल जांगिड सुतार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षामन्त्री और विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामआसरे विश्वकर्मा ने कही। पूर्व मंत्री विश्वकर्मा ने कहा कि पूरे देश में विश्वकर्मा समाज की जनसंख्या 7.5 करोड है।

उन्होंने कहा कि यह समाज जांगिड, सुतार, पांचाल, धीमान, मैथिल, रामगढिया, तरखान, सोनार, शिल्पकार में बंटे होने तथा विभिन्न क्षेत्रों में बिखरे होने के कारण अभी तक समाज की ताकत परिलक्षित नहीं हो पायी।आज देश की लोकसभा या प्रदेश की विधानसभा में विश्वकर्मा समाज का एक भी सांसद या विधायक नहीं है। सरकार के मन्त्रिमण्डल में आज तक विश्वकर्मा समाज का एक भी मन्त्री नहीं बना जिसके कारण विश्वकर्मा समाज की आवाज सरकार तक नहीं पहुंच पायी और न विश्वकर्मा समाज के विकास के लिये नीतियां बनायी जा सकी।

 

 

जब तक विश्वकर्मा समाज की सरकार में,सत्ता में भागीदारी नहीं होगी तब तक विश्वकर्मा समाज का भला नहीं हो सकता।पूर्व मंत्री विश्वकर्मा ने कहा कि हमारी जनसंख्या इतनी अवश्य है कि हम सरकार तो नहीं बना सकते लेकिन सरकार बनाने की गणित को जरूर बिगाड सकते हैं।इसलिये विश्वकर्मा समाज को उनकी जनसंख्या के अनुसार उन्हें अधिकार और सम्मान सभी राजनैतिक दलों को देना होगा।

हम किसी का अधिकार छीनना नहीं चाहते बल्कि सरकार पिछडी जातियों और विश्वकर्मा समाज की जनगणना कराये और जनसंख्या के अनुसार समाज को अधिकार और सम्मान देने का कार्य करे।हमारी मांग है कि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी। राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्वकर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रामआसरे विश्वकर्मा को उच्चशिक्षा मन्त्री बनाकर विश्वकर्मा समाज को सरकार में भागीदारी दी और देश में विश्वकर्मा समाज का सम्मान बढाया।इतना ही नहीं 12 वर्ष तक विधानपरिषद में सदस्य बनाकर विश्वकर्मा समाज को राजनीति में भागीदारी दी।

राम आसरे विश्वकर्मा को 5 वर्ष राज्य पिछडा वर्ग आयोग का अध्यक्ष और राज्यमंत्री बनाकर विश्वकर्मा समाज को आगे बढाया। देश के इतिहास में प्रथम बार भगवान विश्वकर्मा के पूजा दिवस 17 सितम्बर का सार्वजनिक अवकाश घोषित करके विश्वकर्मा की पहचान बनायी।समाज के बेरोजगार लोगो को वर्कशाप और कुटीर उद्योग लगाने हेतु ग्रामसभा की जमीन का पट्टा देने और इण्टर पास विश्वकर्मा समाज के लडकों को आईटीआई का प्रमाण पत्र जारी करने का शासनादेश जारी किया।

समाज के युवको को नौकरी और रोजगार देने का प्रबन्ध किया।समाजवादी पार्टी ने विश्वकर्मा समाज को सत्ता और सरकार में भागीदारी देकर विश्वकर्मा समाज की पहचान बनायी जो आज तक किसी अन्य दल ने नहीं किया।।श्री विश्वकर्मा ने कहा कि समाजवादी नीतियां ही समाज के गरीबों पिछडो और विश्वकर्मा समाज को आगे ले जा सकती है।

पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम आसरे विश्वकर्मा ने केन्द्र सरकार से मांग की कि विश्वकर्मा समाज को उनकी जनसंख्या के अनुसार सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व देना सुनिश्चित किया जाय। विश्वकर्मा समाज के गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक भगवान विश्वकर्मा के पूजा दिवस का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाय।लकडी और फर्नीचर के व्यवसाय पर लागू जीएसटी को समाप्त किया जाय।आरा मशीनो का लाइसेंस केवल विश्वकर्मा समाज के रोजगार के लिये खोला जाय।

उन्होंने मांग करते हुए कहा कि पुश्तैनी रूप से कुशल कारीगर विश्वकर्मा समाज के नवयुवको को आईटीआई का प्रमाण पत्र जारी किया जाय। हुनरमन्द विश्वकर्मा समाज के नवयुवको को कौशल विकास मिशन योजना में रोजगार दिया जाय।भूमिहीन विश्वकर्मा समाज को लोगो को कुटीर उद्योग लगाने हेतु सरकारी जमीन आवंटित किया जाय।सरकार शिल्पकार विकास आयोग का गठन करे और सभी शिल्पकारों को रोजगार उपलब्ध कराये।

पूर्व मंत्री ने आगे कहा कि विश्वकर्मा समाज पर हो रहे अत्याचार और उत्पीडन को सरकार तत्काल बन्द कराये और उन्हें सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराये।विश्वकर्मा समाज इन्हीं नीतियो पर सहयोग और समर्थन करेगा।सम्मेलन को भवरलाल कुलरिया, नेमीचन्द जांगिड, अमराराम जांगिड, गीतेश जांगिड, रामगोपाल सुतार, लखनलाल, भवरलाल जांगिड, हरिशंकर जागिड, डा ओम प्रकाश लाखोआ, जगदीश लाल सुतार सहित कई नेताओं ने सम्बोधित किया।

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